Short essay on Self Confidence in
Hindi | आत्मविश्वास पर निबंध
आत्मविश्वास (अपना भरोसा) आत्मविश्वास का ज्ञान होते ही मनुष्य में
दुगुना बल आ जाता है। हनुमान् जब अपने साथियों के साथ सीता की खोज में निकले तो
पहाड़, जंगल, मैदान छान मारे; परन्तु सीता का - पता न लगा।
आगे समुद्र आ गया। सब थककर चूर हो चुके थे।
वहीं धम्म से बैठ गये। वे सोचने लगे कि अब क्या करें ? उस समय जाम्बवान् ने ललकारा।
उसने हनुमान् के आत्मविश्वास को जगाया। आत्मविश्वास का बोध होते ही हनुमान् की
शक्ति के सामने समुद्र की शक्ति तुच्छ हो गई। अपनी बाँहों के बल पर हनुमान् समुद्र
को तैरकर लंका में जा पहुँचे।
आत्मविश्वासी चाहे लकड़हारा हो या लुहार, किसान हो या गड़रिया, वैज्ञानिक हो या नाविक-वह भरोसे का आदमी होता है। वह इज्जत के लायक आदमी होता है। वह आत्मविश्वासी
दृढ़ मनुष्य होता है। वह फौलाद का बना हुआ होता है। ऐसा मनुष्य अपनी पत्नी तथा
बच्चों के लिए आवश्यकता पड़ने पर अपना सारा धन लुटा सकता है।
अपने पड़ोसियों के
लिए वह
जी खालकर खर्च कर सकता है। अपने देश और देशवासियों के लिए वह सारे जीवन की कमाई
कुर्बान कर सकता है। भामाशाह ने ऐसा ही किया था। आत्मविश्वासी विद्यार्थी को अपनी
सफलता पर अटूट विश्वास होता है। वह कमजोर विद्यार्थी की उदारता से सहायता करता है।
आत्मविश्वासी मजदूर नौसिखिये को काम का ढंग सिखाकर अपना मित्र बना
लेता है। आत्मविश्वासी कारीगर बहुत से नये कुशल कारीगर तैयार कर देता है।
आत्मविश्वास के बल पर एक व्यापारी थोड़ी पूंजो से व्यापार चलाकर बड़े से बड़ा उद्योग खड़ा करने में सफल हो जाता है। वह आत्मविश्वास के ही बल पर अनगिनत लोगों के लिए जीविका के साधन पैदा कर देता है। जीविका यानी रोजगार देने से बढ़कर सहायता दूसरी नहीं हो सकती।
आत्मविश्वास से अपनी सहायता आप करने की हिम्मत पैदा होती है। आत्मविश्वास के बल पर मनुष्य कठोर-से-कठोर धरती पर भी हल चला लेता है। आत्मविश्वासी कहता है'मुझे कठिन काम दीजिए। मैं उसे करूंगा।'
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