Saturday, December 9, 2023

Raja ki story kahani

 

King story in Hindi (राजा की कहानी ) नंदनपुर कि राजा सिंहसेन बड़ी पराक्रमी और प्रजा का ध्यान रखने वाले राजा थे। आजकल उनके पास अपने सीमावर्ती गांव से बड़ी शिकायतें आ रही थी। प्रजा का कहना था कि काननपुर कि राजा गजरसेन के सैनिक जब तब  उनकी सीमा में प्रवेश कर लूटपाट करते हैं फसलों को भी नुकसान पहुंचाते हैं।

King story in Hindi

  
 
सिंहसेन ने जांच करने पर शिकायतों को सही पाया राजा को बड़ा क्रोध आया कोई उनकी प्रजा को परेशान करें यह उन्हें बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं था उन्होंने गजरसेन को अपने सामने युद्ध की चुनौती दी। नियमों के अनुसार उनको चुनौती स्वीकारनी पड़ी। युद्ध में गजरसेन की करारी हार हुई सिंहसेन ने उसे  बंदी बना लिया खुद को लाचार पाकर गजरसेन की अकल ठिकाने आ गई उसने सिंह सेन के पैर पकड़ कर अपने किए पर माफी मांगी लेकिन सिंहसेन उसे माफ करने को तैयार नहीं हुए तभी सिंहसेन के बूढ़े पिता आ गए उन्होंने सिंहसेन को अपने दुश्मन राजा को माफ करके उसे मित्र बनाने को कहा मगर सिंहसेन बोले पिताजी यह सुधरने वाले इंसान नहीं है इसने मेरी प्रजा को परेशान किया है मैं इसे माफ नहीं कर सकता।
 
तब पिता ने सिंहसेन को समझाया गजरसेन के पिता मेरे परम मित्र थे। उनका सम्मान करते हुए तुम्हें इसे सुधरने का एक मौका देना चाहिए इससे मित्रता भरा व्यवहार करना चाहिए पिता की बात का मान रखते हुए सिंह सेन ने गजरसेन से मित्रता का हाथ बढ़ाकर उसे बंदी ग्रह से रिहा कर दिया।
 
समय गुजर रहा था सिंहसेन के शासन में नंदनपुर में हर तरफ सुख समृद्धि थी। एक और पड़ोसी देश के राजा शेरखान की नंदनपुर की संपदा पर बुरी नजर थी एक रात उसने नंदनपुर  पर हमला कर दिया अचानक हुए आक्रमण से सिंहसेन संभल ना पाए और वह हार गया  शेर खान ने सिंह सेन और उसके पिता को बंदी गृह में डालकर नंदनपुर पर कब्जा कर लिया।
 
2 दिन बाद सिंहसेन को बंदी गृह में कम सैनिक दिखाई दिए पूछने पर पता चला कि गजर सेन ने बहुत बड़ी सेना के साथ नंदनपुर पर चढ़ाई कर दी है, शेरखान और सारे सैनिक युद्ध के लिए गए हुए हैं यह सुनते सिंह सेन को बड़ा क्रोध आया वह अपने पिता से बोले मैं कहता था ना पिता जी गजरसेन नहीं सुधरेगा। अब मौके का फायदा उठाकर वह नंदनपुर पर कब्जा करना चाहता है।
 
शेरखान की सेना पहले ही सिंह सेन से युद्ध करने की वजह से कमजोर हो गई। अतः गजर सेन ने उन्हें आसानी से हराकर नंदनपुर को अपने कब्जे में ले लिया। जब गजर सेन बंदी गृह में सिंह सेन के सामने आया तो उन्होंने अपना मुंह घृणा से फेर लिया और बोला आखिर तुमने अपनी इच्छा पूरी कर ही ली??
 
हां मेरी इच्छा पूरी हुई मित्र मेरे होते हुए मेरा मित्र बंदी बने यह मुझे बिल्कुल बर्दाश्त नहीं हुआ इसलिए मैंने शेरखान को सबक सिखाने की सोची। उस दिन मुझे क्षमा कर तुमने जिस दोस्ती की शुरुआत की थी आज मैं उसी का फर्ज पूरा करने आया हूं।
 
गजर सेन के कहने पर सैनिकों ने बंदी ग्रह के दरवाजे खोल दिए। सिंहसेन और उसके पिता कैद से मुक्त हो गए गजर सेना ने उन्हें पुनः नंदनपुर का राज्य सौंप दिया। सिंहसेन अपने मित्र को गले लगा लिया आज उन्हें समझ में आ गया कि सजा के बदले क्षमा एक गलत इंसान का हृदय परिवर्तन भी कर सकती है। - दीप्ती मित्तल 
 

SHARE THIS

Author:

EssayOnline.in - इस ब्लॉग में हिंदी निबंध सरल शब्दों में प्रकाशित किये गए हैं और किये जांयेंगे इसके इलावा आप हिंदी में कविताएं ,कहानियां पढ़ सकते हैं

0 comments: