महात्मा गांधी जी की कहानी - Mahatma Gandhi Story in Hindi
गांधी जी ने अपने जीवन में ऐसे अनेकों आदर्श प्रस्तुत किए हैं जिन्हें दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं ने माना और अपनाया है जहां प्रस्तुत उनके जीवन से लिए गए कुछ ऐसी ही रोचक प्रसंग है :
बच्चों को गांधी जी से मिलना अच्छा लगता था एक दिन गांधी जी से मिलने एक बच्चा आया वह गांधीजी के पहनावे को देख कर बहुत आश्चर्यचकित हुआ उसे यह सोच कर आश्चर्य हुआ कितने महान व्यक्ति के पास पहनने के लिए एक शर्ट नहीं है बच्चा अपने आप को रोक नहीं पाया उसने गांधी जी से पूछा कि आप कुर्ता क्यों नहीं पहनते हैं ? गांधी जी ने बड़े ही प्यार से पूछा बेटे पैसे कहां है मैं बहुत गरीब हूं मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि मैं कुर्ता खरीद सकूं उसने कहा कि मेरी मां बहुत अच्छा सिलाई करती है वह मेरे सारे कपड़े सिलती है मैं उनसे कहूंगा कि वह आपके लिए भी एक कुर्ता सिल दे बच्चे ने गांधी जी से पूछा कि आपको कितने कुर्ते चाहिए एक, दो या तीन ?
मैं अकेला नहीं हूं मेरे 40 करोड़ भाई बहन है जब तक उन सब के पास कपड़े नहीं होंगे तब तक मैं कैसे पहन सकता हूं क्या तुम्हारी मां उन 40 करोड़ के लिए शर्ट सिल सकती है यह सब सुनने के बाद में बच्चा सोच में डूब गया गांधी जी बिल्कुल सही थे 40 करोड़ भाई - बहन के पास जब तक कुर्ता नहीं होगा तब तक खुद कैसे पहन सकते थे पूरा देश उनके लिए परिवार ही था।
जब नकल करने से पीछे हटे
मोहन बचपन में बहुत ही शर्मीले थे जैसे ही छुट्टी की घंटी बजती थी वैसे ही वह अपनी किताबें समेट कर घर जाने के लिए तैयार हो जाते थे कुछ बच्चे बातें करने के लिए कुछ खेलने के लिए तो कुछ खाना खाने के लिए रुक जाते थे। लेकिन मोहन सीधे घर की तरफ चल पड़ते 1 दिन स्कूल इंस्पेक्टर मिस्टर गाइल्स उनके स्कूल में आए थे उन्होंने सभी छात्रों को पांच अंग्रेजी के शब्द बताएं और उसे लिखने के लिए कहा मोहन ने 4 शब्द तो एकदम सही लिखे लेकिन पांचवा शब्द उन्हें लिखना नहीं आ रहा था पांचवा शब्द kettle लिखने में परेशानी हो रही थी इस परेशानी को देखकर उनकी टीचर ने उन्हें इशारा किया कि वह अपने पड़ोसी सत्र की स्लेट से नकल कर ले मोहन ने उनके इशारे को अनदेखा कर दिया दूसरे बच्चे ने सभी शब्द सही सही लिखे मोहन ने सिर्फ 4 शब्द ही सही लिखे इंस्पेक्टर के जाने के बाद टीचर ने उन्हें खूब डांटा मैंने तुम्हें यह कहा था कि दूसरे छात्र से देख कर लिख ले पर तुमने ऐसा क्यों नहीं किया ? मोहन ने बड़े आराम से कहा क्या आप उसे खुद सही नहीं कर सकते थे सभी हंसने लगे जब मोहन घर वापस आए तो खुश नजर नहीं आ रहे थे उन्हें पता था कि उन्होंने जो भी किया वह सब सही ही था लेकिन उनके टीचर ने उन्हें नकल करने के लिए कहा इसी में वह दुखी थे।
गांधी जी की कहानी 3 - Gandhi Jayanti Story in Hindi
उनके मन का भूत भाग गया - कहानी
अंधेरी रात से मोहन को बहुत डर लगता था उसे लगता था कि अंधेरे में किसी कोने में भूत खड़ा है और वहां से उसे देख रहा है मोहन को एक कमरे से दूसरे कमरे में जाना था वह रूम से बाहर तो निकला लेकिन उसके पैर कांप रहे थे रंभा मोहन कि वह बुजुर्ग नौकरानी दरवाजे के पास खड़ी थी उसने पूछा कि मोहन क्या हुआ बेटे तुम इतने डरे हुए क्यों हों मोहन ने कहा देखो कितना अंधेरा है मुझे भूत से डर लगता है रंभा ने बड़े प्यार से मोहन का सिर सहलाया और कहा किसी को देखा है कभी इस तरह से डरते हुए तुम मेरी बात सुनो राम के बारे में सोचो और कभी भी किसी भूत की हिम्मत नहीं होगी कि मैं तुम्हारे पास आए कोई भी तुम्हारे सर का एक भी बाल छू नहीं सकता है राम तुम्हारा अच्छा करेंगे रंभा के इस शब्द ने मोहन को शक्ति दी वह राम का नाम लेते लेते दूसरे कमरे तक बढ़े उन्होंने कभी भी अकेला और डरा हुआ महसूस नहीं किया उनका मानना था कि जब तक राम उनके साथ रहेंगे तब तक वह हर खतरे से सुरक्षित रहेंगे इस विश्वास ने गांधी जी को पूरी जिंदगी साथ दिया और हर कदम पर निर्भरता से चलना सिखाया जहां तक कि जब वह इस दुनिया को छोड़ कर जा रहे थे तब भी उन्होंने हे राम कहकर दुनिया को अलविदा कहा।
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