Monday, March 18, 2019

Technology essay in Hindi टेक्नोलॉजी पर निबंध


Technology essay in Hindi टेक्नोलॉजी पर निबंध 
सुनने में जो थोड़ा अजीब लग सकता है मगर हकीकत यही है कि आज विज्ञान के लिए टेक्नोलॉजी संकट बढ़ कर उभर रही है। एक जमाना था और यह कोई बहुत पुरानी बात नहीं है, मुश्किल से पांच से छह दशक पहले की बात है जब पूरी दुनिया विज्ञान के विकास को महत्वपूर्ण मानती थी दुनिया भर के वैज्ञानिक ही नहीं दुनिया के सभी बड़े और विज्ञान के क्षेत्र में अग्रणी देश विज्ञान के विकास पर जोर देते थे।

मगर हाल के दशकों में उपभोगबाद ने जिस तरह से समाज में अपनी जगह बनाई है उसके चलते विज्ञान दूसरे दर्जे की चीज बन गई है आज सारा जोर तकनीकी पर है क्योंकि तमाम उपभोक्तावाद तकनीकी की दूरी में ही टिका है इस कारण तकनीकी में रातोंरात पैसा बनाने की सुविधा है यही वजह है कि सिर्फ व्यक्तियों के स्तर पर ही नहीं बल्कि देशों के साथ स्तर पर आज ज्ञान की जगह टेक्नोलॉजी को ही प्राथमिकता मिल रही है। देशों के स्तर पर यह शायद इसलिए भी हो रहा है क्योंकि टेक्नोलॉजी अच्छा खासा रोजगार भी पैदा करती है और आज की तारीख में दुनिया के तमाम देश रोजगार की समस्या से पीड़ित है।

आज विज्ञान की जगह तकनीकी का बोलबाला है हालांकि कोई कह सकता है कि जब तकनीकी जीवन को सुविधाजनक बना रही है व्यक्तिगत स्तर पर लोगों को करियर दे रही है पैसा भी दे रही है और देश के सत्र पर बड़े पैमाने पर रोजगार भी दे रही है फिर इसमें संकट क्या है आखिर तकनीकी को बढ़ावा देने से चिंता की क्या बात है? सैद्धांतिक रूप से वाकई कोई चिंता की बात नहीं है हम सब यह भी जानते हैं कि विज्ञान मदर ऑफ टेक्नोलॉजी है इसलिए विज्ञान और टेक्नोलॉजी में कोई बुनियादी भेद भी नहीं है साथ ही हमें यह भी स्वीकारने में कोई गुरेज नहीं है कि विज्ञान का आखरी लक्ष्य इंसान की जिंदगी को बेहतर बनाना है जिसका माध्यम टेक्नोलॉजी ही है।
बावजूद इसके भी अगर आज विज्ञान के तमाम प्रतिष्ठित संस्थान विज्ञान पर तकनीकी के वर्चस्व से चिंतित है तो इसका कारण उनका निजी हित नहीं बल्कि दुनिया का भविष्य है वास्तव में तकनीक की प्राथमिकता में आ जाने से विज्ञान का मूल विकास क्षमता पर  नजर आ रहा है क्योंकि लोगों का और ना ही देशों का दुनिया के भविष्य से कुछ लेना-देना है। हम आज और अभी जितनी एस कर सकते हैं करें यही सब का लक्ष्य है यह अकारण नहीं है कि 50 और 60 के दशक में एस्ट्रोनॉमी का जितना विकास हुआ कमोबेश वह वहीं रुका हुआ है। उन दिनों दुनिया के 2 बड़े देशों संयुक्त राज्य अमेरिका और तत्कालीन सोवियत संघ में अंतरिक्ष में जल्द से जल्द अपना झंडा फहराने की होड़ लगी हुई थी इसलिए अंतरिक्ष विज्ञान का विकास हुआ।

इंसान ना केवल आंतरिक तल बल्कि चांद तक पहुंचा लेकिन आज अमरीका के लिए मून मिशन प्राथमिकता का मुद्दा नहीं है। पिछले कई सालों से नासा अंतरिक्ष मिशनों को लेकर पूरी तरह से उदासीन रहा है। अमेरिका की सरकार अंतरिक्ष के मिशन को ज्यादा बजट ही नहीं मुहैया करा रही हालांकि भारत और चीन के अंतरिक्ष मिशन से शायद चौंककर  अब नासा ने फिर से अंतरिक्ष विज्ञान पर ध्यान देने की योजना बनाई है सवाल यह है कि आखिर Pure साइंस मूल विज्ञान से लोगों और देशों का आकर्षण क्यों कम हो रहा है इसकी एक वजह तो यह है तत्कालीन उपभोग पर जोर देने का भाव जिम्मेदार है दूसरी बात यह है कि मूल विज्ञान एक जटिल क्षेत्र है लोग इन दिनों शॉर्टकट पर जोर दे रहे हैं ताकि जल्द से जल्द किसी चीज का फायदा उठाया जा सके लेकिन मूल विज्ञान में यह संभव तो है ही नहीं यह भी सुनिश्चित नहीं है क्या आपको सफलता मिलेगी भी या नहीं। 
Paragraph on Technology in Hindi
कोर साइंस में दिलचस्पी रखना एक किस्म की तपस्या है एक तीसरी बात यह भी है कि अब ऐसे टीचर और प्रेरक वैज्ञानिक भी नहीं रहे जो छात्रों जा नई पीढ़ी को विज्ञान की तरफ आकर्षित करें जैसे कभी सीवी रमन, पी.सी वैद्य और जयंत नारलीकर करते थे उन्होंने अनेक छात्रों को अपनी प्रेरणा से विज्ञान पढ़ने के लिए प्रेरित किया टेक्नोलॉजी को पूरी दुनिया में बड़े पैमाने पर स्पोंसर उपलब्ध है जबकि प्योर साइंस के लिए ऐसा नहीं है टेक्नोलॉजी के विकास के लिए इसे ज्यादा उपयोगी बनाने के लिए उद्योग किसी पर भी मदद करता है लेकिन प्योर साइंस में उद्योग क्षेत्र की दिलचस्पी कम है क्योंकि इसमें जल्दी रिटर्न तो मिलता ही नहीं नतीजा हासिल होगा या नहीं यह भी पता नहीं होता इसलिए पूरी दुनिया के उद्योग जगत के लिए मूल विज्ञान और कोर साइंस उदासीनता का विषय है। तकनीकी ज्यादा से ज्यादा आकर्षण का विषय है लेकिन जे स्थिति दुनिया के लिए बहुत नुकसान की स्थिति है यह नुकसान भले आज ना दिख रहा हो लेकिन भविष्य में यह बहुत भयावह रूप में दिखेगा। - डा जे जे रावल


SHARE THIS

Author:

EssayOnline.in - इस ब्लॉग में हिंदी निबंध सरल शब्दों में प्रकाशित किये गए हैं और किये जांयेंगे इसके इलावा आप हिंदी में कविताएं ,कहानियां पढ़ सकते हैं

0 comments: