Monday, March 18, 2019

Save Girl Child Essay in Hindi - महिला उत्पीड़न पर निबंध


Save Girl Child Essay in Hindi -महिला उत्पीड़न पर निबंध


आर्थिक रूप से तरक्की के निरंतर नए आयाम स्थापित करने के दावों के बावजूद हरियाणा और पंजाब जैसे राज्यों में विकास की अनेक प्रकार की विसंगतियां देखने को मिल जाती है। कन्याओं को देवी कहकर पूजने का ढोंग रचने वाले समाज में कन्याओं के साथ भेदभाव किसी से छुपा नहीं है।

बेटियों को लेकर जैसे तो पूरे ही उत्तरी भारत की स्थिति भयानक है लेकिन विशेषकर इन राज्यों की स्थितियां परेशान करने वाली है इसे स्पष्ट है कि आर्थिक तरक्की सामाजिक विकास में सहेजें तौर पर रूपांतरित नहीं होती है संयुक्त राष्ट्र द्वारा हर वर्ष 11 अक्टूबर को मनाया जाने वाला बालिका दिवस बालिकाओं की शक्ति ऊर्जा और रचनात्मक पर निगाह डालने का मौका देता है शरीरक रूप से कमजोर और कमसिन माने जाने के बावजूद बेटियों ने पर्वतारोहण और मुश्किल माने जाने वाले खेलों में अपने बहादुरी और असफलताओं के झंडे गाड़े हैं।

अपितु सत्तात्मक समाज में महिलाओं की मानवता व प्रतिभा को दबाने के लिए अनेक प्रकार से दृष्ट आचार किया है यह तक कह दिया कि महिलाओं की बुद्धि चोटी के पीछे होती है या पुरुषों की तुलना में कम होती है लड़कियों ने इस तरह के प्रचार को तो बहुत पहले ही जुटला दिया था जो समाज में तीर्थ यात्राओं के जरिए देवी पूजन का पाखंड करता है वही समाज गर्भ में भ्रूण जांच करवा कर कन्याओं को छांट छांट कर मारने में गुरेज नहीं करता।

बेटियों के जन्म पर तो आज भी मातम के दृश्य दिखाई दे जाते हैं बेटे के जन्म पर डॉक्टर और नर्स सहित विभिन्न पेशेवर सहित अनेक प्रकार के लोग मां-बाप से बधाई और पार्टी लेते हैं जब के बेटियों के जन्म पर माता - पिता को विभिन्न प्रकार से सांत्वना दी जाती है इस स्थिति को देखकर तो ऐसा लगता है कि यह पाखंड और ढोंग भेदभाव और उत्पीड़न को छुपाने के लिए है भेदभाव के माहौल को चीरती हुई भी लड़कियां आगे बढ़ रही है लेकिन उनके आगे बढ़ने का माहौल बहुत ही खराब है बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में छात्राओं को अनुकूल शैक्षिक माहौल के लिए प्रदर्शन करना पड़ा विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में ही जब बेटियों को लैंगिक रूप से संवेदनशील माहौल नहीं मिल पा रहा तो बसों और रेलगाड़ियों सड़कों सार्वजनिक स्थानों गांव - शहरों और घरों के माहौल के बारे में तो कल्पना करना कोई मुश्किल बात नहीं है पढ़े-लिखे लोगों द्वारा भी बातचीत में बेटियों को अपमानित करने वाली गलियों का प्रयोग होता है लड़कियों के लिए हमारे गांव और शहरों की गलियों और पार्कों तक में अघोषित कर्फ्यू की स्थिति दिखाई देती है।

गांवों में तो आज भी लड़कियों को जब वाहर भेजा जाता है तो उसके साथ रक्षा के दृष्टिगत छोटे भाई को भेज दिया जाता है रक्षाबंधन पर बहनें भाइयों को राखी का धागा इसलिए बांधती है कि जरूरत पड़ने पर भाई बहन की रक्षा करेंगे इससे यह बात तो सही है कि लड़कियां सुरक्षित नहीं है उन पर हमेशा खतरा मंडराया रहता है।

खतरा कोई बाहर से नहीं है खतरा इसलिए भी है कि छेड़छाड़ लड़के करते हैं और हम लड़कियों का घर से बाहर निकलना बंद कर देते हैं हम लड़कों को लड़कियों के साथ पढ़ना बैठना और रहना नहीं सिखा पा रहे हैं एक बात तय है कि लड़कियों की बराबरी सुरक्षा और विकास के बिना समाज आगे नहीं बढ़ सकता हमें हमारे विकास पर भी एक बार दोबारा सोचना होगा अपनी परंपराओं और रीति-रिवाजों को भी खंगालना होगा ताकि बेटियों के सशक्तिकरण और समानता के लिए सार्थक प्रयास किए जा सके और बेटियों की क्षमताओं से समाज को और अधिक आगे बढ़ाया जा सके।


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EssayOnline.in - इस ब्लॉग में हिंदी निबंध सरल शब्दों में प्रकाशित किये गए हैं और किये जांयेंगे इसके इलावा आप हिंदी में कविताएं ,कहानियां पढ़ सकते हैं

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