Saturday, March 30, 2019

Child Labour Essay in Hindi | Bal Shram par Nibandh | बाल श्रम पर निबंध


Child Labour Essay in Hindi – Bal Shram par Nibandh - बाल श्रम पर निबंध 
Child Labour Essay in Hindi

 बाल अधिकारों पर राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग की रिपोर्ट तो और भी डरावनी है। यह रिपोर्ट बताती है कि देश में हर वर्ष 44 हज़ार बच्चे गायब हो जाते हैं। बच्चों के गायब होने की अगली कड़ी में आते हैं निठारी कांड जैसे सच जहां सैकड़ों बच्चों के कंकाल मिले थे। आज तक नहीं पता चल सका कि वह कंकाल किन बच्चों के थे। महिला एवं बाल विकास मंत्रालय का कहना है कि देश के 53.22 प्रतिशत बच्चे किसी ना किसी रूप में यौन शोषण का शिकार हो रहे हैं इस शोषण के दायरे में सभी बच्चे आ जाते हैं उनके बीच किसी तरह की कोई सीमा रेखा नहीं है।

बच्चों के यौन शोषण के खतरे जितने तंग बस्तियों में है उससे अधिक कहीं आलीशान इमारतों, बंगलों में है कहने को देश तरक्की कर रहा है लेकिन बचपन पिछड़ रहा है। गरीब बच्चों के चेहरों से मासूमियत खत्म होती जा रही है भारत की आधी सदी के बाद भी झुग्गियों असंगठित श्रमिकों के बच्चों के रहन-सहन में कोई बदलाव नहीं आया है हिंदुस्तान के शहरी और ग्रामीण और अमीर - गरीब की विभाजक रेखा ने बच्चों को दो हिस्सों में बांट दिया है पहली श्रेणी में वह जो सुबह तैयार होकर टिफिन लेकर स्कूल के लिए रवाना होते हैं तो दूसरी कतार में वह बच्चे हैं जिनको सुबह से ही दोपहर की एक आधा रोटी की तलाश में घरों से बाहर निकलना पड़ता है दोनों वर्गों के बच्चे सुबह घरों से बाहर जरुर निकलते हैं पर राहे दोनों की अलग होती है।

तो जाहिर सी बात है कि दूसरी राह में जाने वाले बच्चों के लिए बाल विकास का कोई महत्व नहीं है बाल विकास तो उनके लिए है जो अपने लंच बॉक्स में फास्ट फूड ठूंस –ठूंस  कर ले जाते हैं महानगरों के मोटीयाते बच्चों के लिए हर साल आने वाले बाल दिवस पर चाचा नेहरू के विचारों को रटना अब एक फैशन है स्टेटस सिंबल है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारें सर्व शिक्षा अभियान की सफलता की बात करती है लेकिन सच्चाई मौजूदा स्थिति से कितनी जुदा है यह उनको भी पता है गरीब बच्चों के लिए कागजों में खूब काम होते हैं किंतु धरातल पर कुछ नहीं। नेता अपने घरों के सामने ईट और रेती उठाते मजदूरों के बच्चों को देख आंखें मूंद लेते हैं क्या बाल मजदूर शिक्षा के अधिकारी नहीं है क्या आज बच्चों की प्रगति का सपना केवल कागजों पर ही पूरा हो रहा है या फिर हकीकत में इनके सपने सच होते नजर आ रहे हैं। कारखानों में बच्चे शोषण के शिकार हो रहे हैं उनकी कोई सुध नहीं लेने वाला मौजूदा आंकड़े पर गौर करें तो इस समय लगभग 25 करोड बच्चे बाल श्रमिक है जो चाय की दुकानों पर नौकरों के रूप में फैक्ट्रियों में मजदूरों के रूप में या फिर सड़कों पर भटकते भिखारी के रूप में नजर आ ही जाते हैं।

इनमें से कुछ ही बच्चे ऐसे हैं जिनका उदाहरण देकर हमारी सरकार सीना ठोक कर देश की प्रगति के दावे को सच होता बताती है मजदूरी करने वाले बच्चों में लगभग 53.22 प्रतिशत बच्चे शोषण का शिकार होते है इनमें से अधिकांश बच्चे अपने रिश्तेदारों या मित्रों के यौन शोषण का शिकार हैं अपने अधिकारों के प्रति अनभिज्ञता और अज्ञानता के कारण यह बच्चे शोषण का शिकार होकर जाने अनजाने कई अपराधों में लिप्त होकर अपने भविष्य को अंधकारमय कर रहे हैं।

ध्यान इस बात पर होना चाहिए कि बाल विकास के मायने सभी बच्चों के लिए एक समान होने चाहिए सुविधा संपन्न बच्चे तो सब कुछ कर सकते हैं परंतु यदि सरकार देश के नौनिहालों के बारे में सोचे जो गंदे नालों के किनारे कचरे के ढेर में पड़े हैं जा फूटपाथ की धूल में सने है उन्हें ना तो शिक्षा मिलती है और ना ही आवास सर्वशिक्षा के दावे पर दम भरने वाले भी इन्हें शिक्षा का मुख्यधारा से जोड़ नहीं पाते पैसा कमाना इन बच्चों का शौक नहीं बल्कि मजबूरी है। अशिक्षा के अभाव में अपने अधिकारों से अनभिज्ञ यह बच्चे एक बंधुआ मजदूर की तरह अपने जीवन को कामों में खपा देते हैं और इस तरह देश के नौनिहालों शिक्षा, अधिकार, जागरूकता और सुविधाओं के अभाव में अपने अशिक्षा और अभियंता के नाम पर अपने सपनों की बलि चढ़ा देते हैं वक्त का तकाजा है कि अगर हमें बाल दिवस मनाना है तो सबसे पहले हमें गरीबी और अशिक्षा के घर तक फंसे बच्चों के जीवन स्तर को ऊंचा उठाना होगा तथा उनके अंधियारे जीवन में शिक्षा का प्रकाश फैलाना होगा यदि हम सभी केवल एक गरीब और अशिक्षित और बच्चे की शिक्षा का बीड़ा उठाएंगे तो निर: संदेह भारत प्रगति के पथ पर अग्रसर होगा।


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EssayOnline.in - इस ब्लॉग में हिंदी निबंध सरल शब्दों में प्रकाशित किये गए हैं और किये जांयेंगे इसके इलावा आप हिंदी में कविताएं ,कहानियां पढ़ सकते हैं

1 comment:

  1. Sir bahut mast article likha hai aapne apna skill aise hi badhate rahiye aur mehnat karte rahiye aap ek din jaroor top blogger me se ek kaho jaoge waise maine bhi ek blog banaya hai aap chahe to mera blog dekhkar comment me feedback de sakte hain Dhanyawad https://www.hurtedtechnology.com/2019/02/essay-on-child-labour-in-hindi.html

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