Friday, January 4, 2019

Poem on banyan tree in Hindi | बरगद पर कविता


Poem on banyan tree in Hindi | बरगद पर कविता 

Poem on banyan tree in Hindi


चलो सुस्ता लें
बरगद की छांव में
दादा ने ही लगाई
थी अपने ही गाँव में
वे कहते थे हमें
जब छोटा था तब
लाया था बरगद को
जंगल से निकाल कर
मां ने गुस्से में
खूब डांट लगाई थी

में खूब रोया था
में यह सब देखकर
तनिक न रह पायी थी
वह भी रोते -रोते बरगद को

घर के पीछे लगवाई थी
कड़ी मेहनत के बाद
बड़ा हो गया बरगद
धुप की लाल शोलों से
बचाता है अब वह बरगद
बरगद की छांव में
अब लोग  सुस्ताते हैं
शुद्ध -शुद्ध हवाओं से
काम होता है अब रोग
दादा तो अब नहीं रहे
रहा बरगद ही निशानी
जाते -जाते दादा जी ने
सुनाई हमको यह कहानी।

: मुनटुन राज


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