Poem on Bharat in Hindi | भारत पर कविता
देश हमारा भारत है
जिसका में वंदन करता हूं
आप सभी का
अपनी कविता में
हार्दिक अभिनंदन करता हूं
देख के भारत की पीड़ा को
लगता है कुरुक्षेत्र बनू
जहां भस्म हो पापी सारे
में क्रोधी त्रिनेत्र बनूं
यहां रेप, हिंसा और दंगा
कुछ मानव का चंदन हैं
गूंज रहा
हर ओर हमेशा
लाचारों का क्रन्द्र है
सत्ता लोभी नेताओं के
हाथों में सरताज हुआ
सब नेताओं के हाथ धुले हैं
हिंसा के साबुनों से
जहां न्याय देने वाले खुद
न्याय मांगते मग -मग में
क्यों फिर देश ठोकर न खाए
प्रगति राह के पग -पग में
देश के वीर शहीदों के
चरणों का पावन धूल बनूं
देख के भारत की पीड़ा को
खुशबु से भरा फूल बनूं
: उमाकांत सुर्याशी
Poem on India in Hindi -
देश हमारा भारत है
जिसका में वंदन करता हूं
आप सभी का
अपनी कविता में
हार्दिक अभिनंदन करता हूं
देख के भारत की पीड़ा को
लगता है कुरुक्षेत्र बनू
जहां भस्म हो पापी सारे
में क्रोधी त्रिनेत्र बनूं
यहां रेप, हिंसा और दंगा
कुछ मानव का चंदन हैं
गूंज रहा
हर ओर हमेशा
लाचारों का क्रन्द्र है
सत्ता लोभी नेताओं के
हाथों में सरताज हुआ
सब नेताओं के हाथ धुले हैं
हिंसा के साबुनों से
जहां न्याय देने वाले खुद
न्याय मांगते मग -मग में
क्यों फिर देश ठोकर न खाए
प्रगति राह के पग -पग में
देश के वीर शहीदों के
चरणों का पावन धूल बनूं
देख के भारत की पीड़ा को
खुशबु से भरा फूल बनूं
: उमाकांत सुर्याशी
Poem on India in Hindi -
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