मछली जल में रहने वाला जीव है और यह ज्यादा मीठे पानी के श्रोतों में बड़ी संख्या मात्रा में पायी जाती हैं। मछली गलफड़ों से सांस लेती है गलफड़े सांस लेने में मदद करते हैं वह जल में धूलि आक्सीजन को फ़िल्टर करते हैं और गंदी हवा को बाहर निकाल देते हैं और जिस वक्त fish को जल से बाहर निकाला जाता है तो उसके गलफड़े काम करना बंद कर देते हैं और मछली मर जाती है।
यदि कोई मछली किसी शिकार को चबाने की कोशिश करती है तो उसका दम घुटता है क्योंकि चबाने से उसके गलफड़ों के उपर से जो पानी निकलता है वह बाधा पैदा करता है और मछली के सांस लेने में प्रॉब्लम होती है।
मछली पालन का धंधा बड़े पैमाने में किया जाता है जिससे लोगों की जीविका चलती है , मछली का बहुतात में शिकार किया जाता है क्योंकि इनके तेल और चमड़ी से बहुत सारी वस्तुएं तैयार की जाती हैं और यह भोजन में काम आती हैं इस कारण मछलियों का शिकार होने के कारण यह विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुका है।
ब्लू
बेल एक ऐसी मछली है जो दुनिया के सबसे बड़े जीवो में सबसे भारी भरकम जीव है पहले
धरती पर डायनासोर पाए जाते थे जो सबसे बड़े जीव हुआ करते थे किंतु अब उनका
अस्तित्व नहीं रहा जिस कारण आज के समय में हम इस जीव को ही धरती का सबसे बड़ा जीव
मानते हैं। हालांकि इस मछली की बहुत सारी प्रजातियां पाई जाती है जिसमें से स्पर्म
व्हेल, pilot whale , beluga whale और किलर व्हेल आदि शामिल है किंतु इन
में से ब्लू बेल सबसे बड़ी प्रजाति है इसकी विशालकाय होने का अंदाजा इस बात से ही
लगाया जा सकता है कि यह लगभग 115 फुट और वजन में डेढ़ सौ से लेकर 180 टन तक हो सकती है।
वैज्ञानिकों
का मानना है कि ब्लू व्हेल मछली का अस्तित्व मनुष्य की सभ्यता से पहले का यानि के
लगभग 5 करोड़ वर्षों से भी अधिक समय से इसका
अस्तित्व माना जाता है।
अन्य
स्तनधारियों की तरह व्हेल मछली भी हवा में सांस लेती है इसका खून गर्म होता है।
ब्लू बेल एक ही समय में एक ही बच्चे को जन्म देती है जब के अन्य मछलियां अंडे देकर
बच्चों को जन्म देती है। सांस लेते वक्त इसके मूंह में हवा के साथ पानी भी चला
जाता है जिसे वह पानी को फव्वारे की तरह बाहर निकालती है। इतनी भारी-भरकम जीव होने
के बाद भी यह समुन्द्र में 45 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से तैर
सकती है।
अंधाधुंध
शिकार के कारण यह मछली आज विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है इनकी संख्या काफी
तेजी से कम हो रही है जिस कारण इनकी घटती हुई संख्या को देखते हुए इनके शिकार पर
पाबंदी लगा दी गई है और ता जो इस प्राणी को विलुप्त होने से बचाया जा सके।
Essay on Fish in Hindi 500 words
Essay on Fish in Hindi 500 words
मछली पानी में रहने वाला एक अजीब प्राणी
है। यह एक ऐसा प्राणी है जो जल में ही रह कर अपनी पूरी जिंदगी बिता देता है। यह
पानी में ही सांस लेती है यदि इसे पानी से बाहर निकाल दिया जाए तो इसे सांस नहीं
मिल पाता जिस कारण जे मर जाती है। मछली गलफडों के द्वारा सांस लेती है। लगभग सभी
प्रकार की मछलियों में रीड की हड्डी मिलती है। मछलियां पृथ्वी पर मिलियन वर्षों से
पाई जाती है। मछली की जल में रहकर भी मौत हो सकती है यदि इसे पानी में आक्सीजन न
मिले तो।
मछली के शरीर पर तांत्रिक प्रणाली होती
है जो उन्हें स्वाद का एहसास कराती है। ज्यादातर मछलियों की प्रजातियां अंडे देती
है किंतु कुछ मछलियां ऐसी भी है जो अंडे नहीं देती सीधे बच्चों को जन्म देती है
जैसे वाइट शार्क ऐसी मछली है जो अंडे ना देने की वजाय सीधा बच्चों को जन्म देती
है। मछली को सांस गलफड़ों के द्वारा मिलता है क्योंकी यह जल में घुली ऑक्सीजन को
फिल्टर कर देती है और गंदी वायु को बाहर निकाल देते हैं। क्योंकि यदि किसी मछली को
जल से बाहर निकाल दिया जाता है तो उसके गलफड़े काम करना बंद कर देते हैं जिस वजह
से मछली को सांस लेने में दिक्कत आती है और वह आखिर मर जाती है। मछलियां हमेशा
सीधा ही तैर सकती है पीछे की तरफ नहीं तैर सकती किंतु कुछ मछलियां ऐसी भी है जो
पीछे की तरफ भी तैर सकती है जैसे ट्रिगरफिश। संसार भर में मछलियों की लगभग 25000 से
भी ज्यादा प्रजातियां देखने को मिल जाती है। इनमें से कुछ प्रजातियां ऐसी भी हैं
जिनके बारे में पूरी जानकारी अब तक वैज्ञानिकों को भी नहीं मिल पाई
है। मछली की ऐसी प्रजातियां भी है जो अपने शिकार को सीधा ही निगल लेती है। शार्क
मछली समुद्र में पाई जाने वाली सबसे बड़ी मछली है और यह मछली समुंदर के सबसे बड़े
शिकारियों में से एक है। स्टोन फिश एक ऐसी मछली है जिसे खाने के बाद आदमी की तुरंत
मौत हो जाती है क्योंकि यह समुद्र में पाई जाने वाली जहरीली मछलियों में से एक है।
मछलियों का मुख्य आहार पानी में पाए
जाने वाले छोटे मोटे कीड़े मकोड़े जैसे केकड़े और छोटे जीव आदि होता है। गंदे पानी
में मछली जीवित नहीं रह सकती क्योंकि गंदे पानी में मछली के गलफड़े काम करना बंद
कर देते हैं जिस वजह से उसकी मौत हो जाती है। मछलियों के लिए शुद्ध जल ही उनका
असली जीवन होता है यदि इन्हें जल से कुछ देर के लिए बाहर निकाल दिया जाए तो उनकी
मौत हो जाती है। पृथ्वी पर यह जीव डायनासोर के जमाने से माने जाते हैं।
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