Monday, December 17, 2018

Essay on Corruption in Hindi | भृष्टाचार पर निबंध


Essay on Corruption in Hindi भृष्टाचार पर निबंध
Essay on Corruption in Hindi
एक ताजा अध्ययन के अनुसार दुनिया के दो तिहाई देश भ्रष्टाचार को खत्म करने के मामले में पूर्व में तो छोड़िए हाल के वर्षों में भी कुछ नहीं कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश में प्रजातांत्रिक शासन है क्या जनता को भ्रष्टाचार से कोई परहेज नहीं है या फिर सत्ता के लिए उनका चुनाव गलत है अथवा या फिर यह मान लिया जाए   कि सत्ता पर चाहे कोई बैठे सिस्टम से भ्रष्टाचार खत्म नहीं हो सकता है। ट्रांसपरेंसी इंटरनेशनल के सन 2017 के लिए जारी इस अध्ययन में भारत भ्रष्टाचार सूचकांक पर दो स्थान और पीछे खिसक गया है यानी देश में इस अक्षत सामाजिक व्याधि को लेकर जान अनुभूति सन 2016 के मुकाबले ज्यादा खराब हुई है।

ध्यान रहे की यह सर्वे जन अनुभूति को लेकर किया जाता है जब भी सर्वे किया गया होगा उस समय बैंक घोटाला नहीं हुआ था और साथ ही नोटबंदी के प्रभाव को लेकर आम जनता में तकलीफ है चाहे जो भी रही हो इसे मोदी सरकार का भ्रष्टाचार के खिलाफ एक अच्छा प्रयास माना जाने लगा था आखिर इस जन  अनुभूति की वजह क्या है? प्रजातंत्र तो जनता का जनता के लिए और जनता द्वारा शासन माना जाता है और भारत सहित कई देशों से कई दशकों से प्रयोग में ला रहे हैं।
अगर इन देशों का जीडीपी तमाम खाने भागता हुआ 25 सालों में छठे स्थान पर आ सकता है तो फिर जनता को क्यों लगता है कि भ्रष्टाचार खत्म करने में हमारे सत्ताधारी वर्क उदासीन या अक्षम साबित हो रहा है अगर एक निष्पक्ष विश्लेषण करें तो यह कह सकते हैं कि पिछले 4 साल के मोदी शासन में वर्तमान बैंक घोटाले को छोड़कर कोई बड़ा भ्रष्टाचार सामने नहीं आया नोटबंदी से सबसे ज्यादा आहट भ्रष्ट लोग हुए और कष्ट के बावजूद आम जन यह मानकर के कुछ शुरू हुआ कुछ हुआ फिर जनन मोदी में नकारात्मकता घटने की विधाएं क्यों बढ़ी

इस कारण को जानने के लिए भारत में भ्रष्टाचार की बदलती प्रकृति को समझना होगा भ्रष्टाचार दो तरह के होते हैं पहला भयादोहन या सरकारी काम करने के पैसे जो केवल दोनों का ही एक रूप है और दूसरा सहमति से द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 12 वॉल्यूम की विस्तृत रिपोर्ट के वॉल्यूम 4 में इन दोनों प्रकार के भ्रष्टाचार के स्वरूपों की व्यापक का विवेचना करते हुए उन्हें कोल्युसिव  का नाम दिया गया है।
पहले किस्म के भ्रष्टाचार में पुलिस का ट्रक वालों से पैसा वसूला, ग्राम प्रधान का सरकारी सब्सिडी दिलाने के लिए गरीबों से पैसा लेना जा लेखपाल का कर्ज माफी की पात्रता के लिए नाम आगे बढ़ाना जा शहरों में मकान का नक्शा पास करवाने, जन्म मृत्यु प्रमाण देने जा पासपोर्ट सत्यापन में पैसे लेना होता है पेऑफ़  कि भ्रष्टाचार के अंतर्गत बैंक का घोटाला 2जी स्पेक्ट्रम जा तमाम बड़े घोटाले आते हैं जिनमें एक सहमति होती है जैसे पुल बनाने में इंजीनियर और ठेकेदार के बीच इस भ्रष्टाचार से समाज अप्रत्यक्ष रूप से लेकिन बड़ा नुकसान होता है।
भारत सहित दुनिया के तमाम देशों में पेऑफ सिस्टम का भ्रष्टाचार 1970 से शुरू हुआ और आज जो व्यापक रूप ले चुका है इस विषय के जानकारों का मानना है कि इस भ्रष्टाचार को खत्म करना बेहद मुश्किल होता है क्योंकि इसका शिकार व्यक्ति नहीं पूरा समाज होता है जो के अमूर्त है और उदार प्रजातंत्र में अदालतें सबूत और गवाह चाहती हैं लिहाज भ्रष्टाचार व्यक्ति आराम से कोर्ट से छूट जाता है।

Speech on Corruption in Hindi

भ्रष्टाचार की जड़ें गहरी होती जा रही है उत्तर भारत के राज्यों में इस तरह का भ्रष्टाचार हावी है जाहिर है जब सर्वे में लाभार्थियों जा लाभ से वंचित लोगों से पूछा जाएगा कि भ्रष्टाचार में पहले से कमी आई है या बड़ा तो उसका जवाब भोगे  हुए यथार्थ के आधार पर होगा भले ही वह मोदी और उनकी योजनाओं से खुश हो।
जनप्रतिनिधि अपने इलाके में जाकर से भ्रष्टाचार को कम करा सकते हैं पर अधिकांश बैठक में सांसद शायद ही कभी जाते हैं फिर इन परियोजनाओं के बारे में उनका ज्ञान भी सीमित होता है प्रधानमंत्री का आदेश हो के सांसद क्षेत्र में हर माह कम से कम 3 दिन बिताएं पर वह शाम को दिल्ली जा राज्य की राजधानी से जिला मुख्यालय पहुंचते हैं अगले दिन क्षेत्र के बड़े लोगों के घर भोजन और सर्किट हाउस में रात बिता कर सुबह से दिल्ली के लिए रवाना 3 दिन का कोटा पूरा नतीजा यह है कि जितनी विकास जन कल्याण की योजनाएं आएंगी उतना ही राज्य अभी कारणों में बैठे लोग भ्रष्टाचार करेंगे और उतना ही कमजोर तबका स्वस्थ होगा और नाराजगी बढ़ेगी।
आप जरा तस्वीर का दूसरा चौंकाने वाला एक और पहलू देखें सन 2013 -14 मई सरकार के आर्थिक सर्वेक्षण के अनुसार कृषि क्षेत्र की कुल आय जीडीपी का मात्र 15% ही थी या यूं कहें के लगभग 4.60 करोड थी उन्होंने खेती से उस वर्ष 2000 लाख करोड रुपए का उत्पादन किया यानी वास्तविक सरकारी उत्पादन आंकड़ों से 400 गुना 10 साल में देश के कुल जीडीपी से 22 गुना ज्यादा लेकिन ना तो उस समय की यूपीए - 2 सरकार उस पर चौकी नाही वर्तमान सरकार ने आयोग बैठाकर इस काले धन को सफेद करने के लिए कृषि आय का झूठा आंकड़ा देने वालों को जेल की हवा खिलाई यही वजह है कि दुनिया के दो तिहाई देश प्रजातंत्र होने के बावजूद इस दंश को झेलते रहेंगे।


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