सावन महीने पर कविता Poem on Sawan in Hindi
रिमझिम रिमझिम सावन बरसे
खेतों में हरियाली छाई
रह-रहकर उड़े चुनरिया
घनघोर बरसात हो आई
हरी हरी पहन चुनरिया
धरती भी इठलाती जाए
रिमझिम रिमझिम सावन बरसे
खेतों में हरियाली छाई
बाग बगीचा हरा भरा
भूल भी महकती जाए
सूखी पड़ी धरती की
अमृत जल से प्यास बुझाने
जमजम करती बारिश आई
ताल तिलैया, नदी उमड़ी
धरती भी मुस्कुराए
रिमझिम रिमझिम सावन बरसे
खेतों में हरियाली छाई
नीतीश कुमार सिन्हा
आषाढ़ और सावन - Kavita - 2
आषाढ़ बीता सावन आया
पर झुमके नहीं बरसा हो नहीं रही
बादल छाए रहते हैं पता नहीं रांची में
कब वर्षा होगी आषाढ़ में बरसा रानी ने
रुलाया रांची वासियों को
क्या सावन भी रुलाएगा
बिन बरसे बीत जाएगा
खेतों को नहीं मिलेगा पानी तो
किसानों की मौत ही हो जाएगी
नदी तालाब कुएं सूखे ही रह जाएंगे
बरसा बरसा बादल अब मत तरसा।
खूबी मोहन
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