Poem on Fish in Hindi मछली पर कविता
कैसे नदिया घर है तेरा
वहां तो बस पानी ही पानी
चांदी सी चमचम करती है
कैसे जल में तू रहती है
जलपरियों सी तू लगती है
भूख लगी तो क्या खाएगी ?
या के बस पीयेगी पानी
तेरी दुनिया अलग सभी से
भेद बता दे न तू मुझसे
सोन मछलियों के हैं किस्से
तू मुझको मिलवा दे उससे
वह तो जलपरियों की रानी
देह डोलती लहर -लहर -सी
पानी में तू छहर -छहर सी
जाती है तू फिसल -फिसल सी
सदा तैरती ऊपर नीचे
तेरी दुनिया है अनजानी
लेखक - अंजना वर्मा
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