Monday, May 15, 2023

Bal kavita in Hindi बाल कविता

 Short poem in Hindi for Kids  

बाल कविता - भोर की वेला - Bal Kavita in Hindi 

 भोर की वेला में उठ जाना,
जीवन सुख का यही खजाना,
 चिड़िया मिलकर चहक रही हैं,
कलियां खिलकर महक रही हैं।
मिटा अंधेरा हुआ उजाला,
निकला वह दिन मान सुहाना,
भोर की वेला में उठा जाना
घास पे चमकें ओस के मोती।
किरणों ने फैलाई ज्योति,
मुर्गे ने भी बांग है छेड़ी,
तुम को भी शाला जाना,
भोर की वेला में उठ जाना।
गाय-बैल हैं निकले चरने,
बगुले संग, सवारी करने,
गौरैया ने बुना घोंसला,
तीतर-स्वर जाना पहचाना,
भोर की वेला में उठ जाना।
रंग-बिरंगी उड़े तितलियां,
जल में तैर रही हैं मछलियां,
भंवरों की गुंजन झनकारे,
कोयल का सब सुनो तराना।
भोर की वेला में उठ जाना।
भोर के स्वागत गाना सुनो तुम,
पंछी छेड़ें तान, सुनो तुम, खुश हो,
नाचे मोर रंगीला,
जीवन में तुम भी मुस्कुराना,
भोर की वेला में उठ जाना। -डा. नलिनी विभा 'नाज़ली'


short poem in hindi for kids



झाड़ी  - 2

झाड़ी जमीन की सतह के साथ-साथ उगती है।
इसकी कोई एक मुख्य शाखा नहीं होती।
इसकी टहनियां काठ जैसी कठोर होती हैं।
लताओं और बेलों जैसी झाड़ियां भी होती हैं।
कुछ झाड़ियों में फल भी लगते हैं।
कभी-कभी झाड़ियां बढ़कर
वृक्षों जितनी ऊंची भी हो सकती

बाल कविताएं -  बच्चों की दुनिया 3

आसमान में खिलते तारे,
सब बच्चों को लगते प्यारे।
पानी में ये झिलमिल करते,
नन्हे मन्ने राज दुलारे।
वैसे ये बच्चों की दुनिया,
सविता रीता और मुनियां। हंसते खिलते तारों जैसे,
माता-पिता की आंख के तारे।
पल में ठुमके और चहके,
डांटो तो ये देखो बहके।
 प्रेम प्यार से मन जाते हैं,
जैसा सांचा ढलते सारे।
शिक्षा इनको अच्छी देना,
देश प्रेम की नींव जमाना।
भूल चूक तो होती रहती,
भारत देश के बच्चे प्यारे।

बच्चों की बगिया  - 4

भोर हुई अब चिड़िया चहकी,
शुद्ध हवा अब आंगन महकी।
 कलियों ने देखो मुंह खोला,
फूलों की अब खुशबू बहकी।
धुआं उठा धरती पर प्यारा,
निकला घर से जग सारा।
बछड़े ने मां को हांक लगाई,
दूध लिए अब मुनिया ठुमकी।
पेड़ों ने वंदन कर डाला,
देवों के सिर चढ़ गई माला।
सोनू मोनू उठ गए सारे,
पूरब में अब लाली चमकी।
सुखद सुहाना है सबेरा,
आपसी मिलन और भाईचारा,
मिल कर सब कदम बढ़ाओ,


बाल कविताएं - 5

पानी दूर वस्त्र की करे गंदगी भोजन सरस बनाएं।
अकुलाहट को दूर भगाकर झटपट प्यास बुझाए।
 दे पेड़ों को नई ताजगी जीवों को नवजीवन,
धरती को मुस्कान बांटता यह चांदी, यह कंचन।
सरिता की पहचान यही है मेघों की है गरिमा,
मुक्त कंठ से गाते प्राणी इस पानी की महिमा।

मूछें 6

किसी-किसी की लम्बी होती
और किसी की छोटी मछे.

पतली मूंछे किसी-किसी की रहें
 किसी की मोटी मूंछे।
 दादा जी की उजली-उजली
पापा जी की काली मूंछे,
 थाने के उस हवलदार की पैनी,
घनी, निर ली मूंछे।
कुछ की मूंछे तनी-तनी सी
 कुछ की झुकी-झुकी-सी मूंछे,
कुछ की होती ऊपर-नीचे
कुछ की रुकी-रुकी-सी मूंछे।


बाल कविताएं 7 

कामना नीम की घनी छाया हो,
बौर आम पर आया हो।
अन्न-धन की कोई कमी न हो,
अमन-चैन हो, कोई दुश्मनी न हो।
सुखी-सफल स्वस्थ समृद्ध हो सब,
प्रसन्नचित बाल, युवा, वृद्ध हों सब।
आतंक का बाकी नाम निशान न हो,
आत्महत्या करता कोई न हो।
शांत, सुखद, संतुष्ट वातावरण सारा हो,
 हर वर्ग में सद्भाव और भाईचारा हो,
 ऐसा प्यारा हिन्दोस्तान हमारा हो।

कटहल - 8 

सब्जी की सब्जी, फल का फल
अनोखी वस्तु है यह कटहल।
खूब बड़ा और वजनी होता है,
30 किलो तक का भी मिलता है।
केरल, नागालैंड, त्रिपुरा में खूब होता है,
हजारों टन उत्तर भारत भेजा जाता है।
कटहल, इमली, केला, नारियल सहिजन,
इनके बिना भला कैसा कोई बगीचा?
कटहल से अनेक व्यंजन बनते हैं,
इसकी लकड़ी से फनीचर बनता है।
पक्का स्वाद से खाया जाता है,
कच्चे का अचार भी बनाया जाता है।


Poem on Nail in Hindi - 9

नाखून नाखून अगर बढ़ जाते हैं,
तो मैल उन में भर जाता है।
उंगलियों के साथ मुंह में जाकर,
वह कई रोग फैलाता है।
जरूरी है समय-समय पर,
हाथ-पैरों के नाखून काटते रहना,
नाखूनों को हमेशा साफ रखना,
दांतों से उन्हें कभी भी न कुतरना।
नाखून बढ़ाने का शौक भुलावा है,
देखादेखी में बेकार का छलावा है।
नाखूनों पर ध्यान देना जरूरी है,
सुंदरता की यह भी एक कसौटी है।

गिलहरी  - 10 Gilhari Poem in Hindi



नन्हा-सा यह जीव गिलहरी,
कितनी सुंदर मासूम भोली-भाली।
पेड़ पर चढ़ती तुरंत उतरती,
इसी भागदौड़ में जुटी है रहती।
न जाने कितना दम यह रखती,
थकी हुई सी कभी न लगती।
कितनी भी कोशिश तुम कर लो,
पकड़ में तुम्हारे यह न आती।
पंजों में पकड़ खाने की वस्तु,
 तीखे दांतों से है कुतरती।
पीठ पर इसके पड़ी धारियां,
भगवान राम की देन कहलातीं।

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EssayOnline.in - इस ब्लॉग में हिंदी निबंध सरल शब्दों में प्रकाशित किये गए हैं और किये जांयेंगे इसके इलावा आप हिंदी में कविताएं ,कहानियां पढ़ सकते हैं

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