Tuesday, September 10, 2019

Books importance essay in Hindi - पुस्तकों का महत्व पर निबंध


Books importance essay in Hindi - पुस्तके मित्रों में सबसे शान्त व स्थिर हैं. वे सलाहकारों में सबसे सलभ व बदिमान हैं और शिक्षकों में सबसे धैर्यवान है।" चार्ल्स विलियम इलियट की कही यह बात पस्तकों की महत्ता को उजागर करती है। निःसन्देह पुस्तक ज्ञानाजन करने, मार्गदर्शन करने एवं परामर्श देने में विशेष भमिका निभाती हैं। पुस्तकें मनुष्य के मानसिक, सामाजिक सांस्कृतिक, नैतिक, चारित्रिक, व्यावसायिक एवं राजनीतिक विकास में सहायक होती हैं। महात्मा गाँधी ने कहा है-पस्तकों का मूल्य रत्नों से भी अधिक है, क्योंकि पुस्तकें अन्तःकरण को उज्ज्वल करता है। पुस्तक पढ़ने से होने वाले लाभ को देखते हए, उन्होंने अन्यत्र कहा है-पुराने वस्त्र पहनो, पर नई पुस्तके खरीदी। सचमुच पुस्तकें सुख और आनन्द का भण्डार होती हैं। जो लोग अच्छी पुस्तकें नहीं पढ़ते या पुस्तकें पढ़ने में जिनकी कोई रुचि नहीं होती. वे जीवन की बहत-सी सच्चाइयों से अनभिज्ञ रह जाते हैं। पुस्तकें पढ़ने का सबसे बड़ा लाभ यह हार हम इनसे जीवन में आने वाली कठिन परिस्थितियों का सामना करने की शक्ति जटा पाते हैं। कठिन-से-कठिन समय में भी पुस्तकें हमारा उचित मार्गदर्शन करती हैं। जिन लोगों को पुस्तकें पढ़ने का शौक होता है, वे लोग अपने खाली समय का सदुपयोग पुस्तकों के माध्यम से ज्ञानार्जन के लिए करते हैं।
"Books importance essay in Hindi"

Books importance essay in Hindi

पस्तक पढ़ने की रुचि का विकास बचपन से ही होने लगता है। यदि बाल्यावस्था में बच्चों को अच्छी पुस्तकें उपलब्ध नहीं होती. तो भविष्य में उनमें इस रुचि का विकास नहीं हो पाता, इसलिए जो लोग चाहते हैं कि उनके बच्चों में पुस्तक पटने की अच्छी आदत का विकास हो, वे अपने बच्चों को समय-समय पर अच्छी पुस्तकें लाकर देते रहते हैं। बच्चों के लिए पुस्तकों के महत्त्व को देखते हुए प्राचीनकाल से ही बाल पुस्तकों के लेखन पर ध्यान दिया जाता रहा है।पंचतन्त्र' एवं 'हितोपदेश' इसके उदाहरण हैं।

पुस्तकें किसी भी देश की सभ्यता व संस्कृति के संरक्षण एवं प्रचार प्रसार में अहम भूमिका निभाती हैं। इस प्रकार पस्तकें ज्ञान का संरक्षण करती हैं। विश्व की हर सभ्यता में लेखन सामग्री का काफी महत्त्व रहा है, चाहे वह किसी रूप में चिह्नित या दर्शायी गई हों। लोगों में पुनर्जागरण पुस्तकों के माध्यम से ही आया। इससे शिक्षित तथा अशिक्षित जो सुनकर प्रभावित होते थे उनके अन्दर भी एक नवीन चेतना का संचार हआ, जिससे उनके अन्दर तार्किक क्षमता का विकास हआ। लोगों में ऐसा एहसास होने लगा कि साहित्य लोगों में एकता स्थापित करने में भी सहायक है।

इस प्रकार पहले की पुस्तकें हमें उस समय की सामाजिक, आर्थिक व राजनीतिक तथा धार्मिक पहलुओं की जानकारी उपलब्ध कराने में सहायक होती हैं। पुस्तकें विभिन्न विचारों को समाहित करती हैं जिससे भिन्न-भिन्न विचारों का अध्यपन किया जाना सम्भव हो पाता है।
पुस्तकों का भारतीय स्वतन्त्रता में भी काफी महत्त्व रहा है, जिसके माध्यम से लोगों को प्रेरित व उत्साहवर्द्धक बनाया गया। लोगों को विभिन्न संस्कृतियों के बारे में जानकारी प्राप्त हो सकी। इस प्रकार पुस्तकों के महत्त्व को देखते हुए डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने बताया किपुस्तकें वे साधन हैं, जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच पुल का निर्माण कर सकते हैं।" पुस्तकें वैसे मित्र होते हैं, जो प्रत्येक स्थान और प्रत्येक काल में सहायक होते हैं। यही कारण है कि अनेक लोग गुरु वाणी, हनुमान चालीसा आदि अपने पास रखते हैं।

आधुनिक समय में यवाओं में छोटी व पतली पुस्तकों को पढ़ने के प्रति रुचि बढ़ी है। इसके साथ ही इण्टरनेट के बढ़ते बाजार की दिशा में यवक पस्तकों को विभिन्न साइटों के माध्यम से पढ़ सकते हैं।

अत: इस दिशा में विभिन्न प्रकार की कम्पनियाँ भी सभी प्रकार की पस्तकें खण्डों में साइटों पर उपलब्ध करा रही हैं। जिससे बच्चे बड़ी संख्या में लाभान्वित हो रह है। इस दिशा में भारत सरकार डिजिटल कार्यक्रमों के अन्तर्गत सभी को इण्टरनेट से जोड़ने हेतु प्रोत्साहित कर रही है। साथ ही पाठ्यक्रमों को भी ई-शिक्षा तथा पुस्तकों को ई-पुस्तकालयों के माध्यम से उपलब्ध कराई जा रही हैं; जस-राष्ट्रीय ई-पस्तकालय जिसके माध्यम से विभिन्न पृष्ठभूमि और भाषाओं के विभिन्न अध्येताओं के मतानुसार गुणात्मक ई-सामग्री तैयार कर और दक्षतापर्वक उपलब्ध कराया जा रहा है। इससे देश-विदेश के किसी भी भाग में रहकर इच्छानुसार पुस्तकों, पत्रिकाओं, आदि को पढ़ रहे हैं। इसके कुछ दुष्परिणाम भी देखे जा रहे हैं कि बच्चे उचित मार्गदर्शन वाली पुस्तकें न पढ़कर भ्रामक पुस्तकों का जाधक उपयोग कर रहे हैं। इससे बच्चों का भविष्य भी प्रभावित हो रहा है। अत: घटिया पुस्तकों के अध्ययन से हमें स्वयं ना चाहिए और दूसरे को बचाना चाहिए, क्योंकि घटिया पुस्तकें हमारी मानसिकता को विकृत करती हैं।

इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि पुस्तकें ज्ञान देने के साथ, मार्गदर्शक तथा चरित्र निर्माण का सर्वोत्तम साधन है। गुणा स युक्त पुस्तकों के प्रचार-प्रसार से राष्ट्र के युवा कर्णधारों को नई दिशा दी जा सकती है तथा एकता और ता को स्थापित
कर एक सबल राष्ट्र का निर्माण किया जा सकता है।

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EssayOnline.in - इस ब्लॉग में हिंदी निबंध सरल शब्दों में प्रकाशित किये गए हैं और किये जांयेंगे इसके इलावा आप हिंदी में कविताएं ,कहानियां पढ़ सकते हैं

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