5 sentences on Basant Panchami in Hindi
भारत में बसंत पंचमी का पर्व बड़े ही जोश और उत्साह के साथ मनाया जाता है। बसंत पंचमी के शुभ मौके पर देवी सरस्वती का जन्म हुआ माना जाता है इसलिए इस देना देवी सरस्वती की पूजा-अर्चना होती है। क्योंकि माता सरस्वती देवी को विद्या की देवी भी कहा जाता है। सरस्वती की जय हो पूजा-अर्चना माघ महीने के शुक्ल पंचमी के दिन होती है। बसंत पंचमी का यह त्योहार फरवरी जाफर जनवरी के महीने में आता है।
बसंत पंचमी के दिनों में चारों तरफ पीली सरसों लहाने लगती है और मानव मानव भी खुशी से झूमने लगता है।
बसंत पंचमी के दिनों में सर्दी का मौसम धीरे-धीरे कम होने लगता है और पेड़-पौधों और प्राणियों में नवजीवन का संचार होने लगता है।
खेतों में सरसों के पीले पीले फूल देखकर मानो ऐसा लगता है कि धरती पर किसी ने पीले रंग की चादर बिछा दी हो।
बसंत के दिनों में फूलों का खिलना गेहूं की फसल का उगना आम के वृक्षों पर बोर आ जाना और फूलों पर रंग बिरंगी तितलियों का मंडराना।
बसंत पंचमी के दिनों में सर्दी का मौसम धीरे-धीरे कम होने लगता है और पेड़-पौधों और प्राणियों में नवजीवन का संचार होने लगता है।
खेतों में सरसों के पीले पीले फूल देखकर मानो ऐसा लगता है कि धरती पर किसी ने पीले रंग की चादर बिछा दी हो।
बसंत के दिनों में फूलों का खिलना गेहूं की फसल का उगना आम के वृक्षों पर बोर आ जाना और फूलों पर रंग बिरंगी तितलियों का मंडराना।
ब्रह्माण्ड का निर्माण करते समय ब्रह्मा देव ने मानव को बनाया किन्तु उनके मन में संकट के स्थिति उत्पन्न हुई ओर उनके चारों तरफ सनसनाहट की आवाज़ सुनाई दी तभी ब्रह्मा जी के द्वारा एक देवी को प्रगट किया जो ब्रह्मा जी की पुत्री बनी जिन्हें सरस्वती देवी के नाम से जाना गया। उनके जन्म के समय उनके हाथ में माला , पुस्तक ओर वीणा थी। सरस्वती के जन्म के बाद ही धरती पर कम्पन्न होना शुरू हुआ चारों तरफ हरियाली छाने लगी चारों और चेतना का संचार होने लगा।
रामायण काल - पौराणिक कथा के मुताबिक जब दुष्ट रावण के द्वारा माता सीता का अपहरण किया गया, उसी समय उनके द्वारा अपने आभूषणों को जमीन पर फेंक दिया गया था जिस कारण राम -लक्ष्मण को मार्ग का पता चल सके , उन्ही आभूषणों का पीछा करते करते राम दंडकरण पहुंचे थे जहां पर उन्हें शबरी मिली जहां पर राम के द्वारा शबरी के झूठे बेर खाकर उनका उद्दार किया था माना जाता है के वह दिन वसंत पंचमी का दिन था इसीलिए आज भी शबरी माता के बने मंदिर में बसंत का उत्सव बड़ी ही श्रद्धा से मनाया जाता है।
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