Monday, March 18, 2019

Short Essay on camel in Hindi | ऊंट पर निबंध


Essay on camel in Hindi ऊंट पर निबंध
Essay on camel in Hindi

ऊंट रेगिस्तान को रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है क्योंकि ऊँट रेतीले इलाकों में बड़ी सरलता से दौड़ सकता है इसी कारण रेगिस्तान में बाकी जानवरों की वजाय ज्यादातर ऊंट पाले जाते हैं।
ऊंट से बोझ ढ़ोने का काम लिया जाता है। ऊंट की गर्दन लम्बी होती है और इसके एक बड़ा सा कूबड़ होता है एशियाई ऊंट के दो कूबड़ और अरबियन  के एक कूबड़ होता है। ऊंट के दूध में गाय के दूध से भी कम चर्बी होती है। इनकी आंखों पर 3 पलकें होती हैं जो इन्हें उडती हुई रेत से बचने में सहायता करती है।
ऊंट  कई दिनों तक बिना पानी के बिना रह सकता है ऐसा इसीलिए क्योंकि ऊंट को पसीना नहीं आता और इसके शरीर में मौजूद जल का क्षय बहुत धीमी गति से होता है। ऊंट बहुत ज्यादा गर्मी होने के कारण उसे सहन कर लेता है जिस वजय से उसके शरीर से पसीना नहीं निकलता और न ही उसे बार बार पानी पीने की आवश्यकता पडती है।
कैमल एक शाकाहारी जानवर है जो केवल  घास , फूस और अनाज आदि खाता है यह रेतीले क्षेत्रों  में 40 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से दौड़ लेते हैं।

ऊंट संसार भर में पाया जाने वाला एक पालतू पशु है। यह ज्यादातर रेगिस्तान के क्षेत्रों में पाया जाने वाला जानवर है। इसीलिए इसे रेगिस्तान का जहाज भी कहा जाता है क्योंकि रेगिस्तान के क्षेत्रों में यह बड़ी आसानी से चल और दौड़ सकता है।
ऊंट की तीन पलकें होती है जो इसे रेगिस्तान की तेज धूल जो मिट्टी से बचाती हैं क्योंकि यह पलकें धूल जा मिट्टी को आंखों में जाने से रोकती हैं। ऊंट एक जानवर है जो कई हफ्तों तक बिना पानी के जिंदा रह सकता है।

Essay on Camel in Hindi ऊंट पर निबंध 

Essay on Camel in Hindi


ऊंट का जीवनकाल लगभग 40 वर्षों तक होता है। ऊंट एक प्राचीन काल के समय का जानवर है क्योंकि आजकल यातायात के साधन आ जाने से आज काल इनका इस्तेमाल बहुत कम किया जाता है पुराने समय में यातायात की ज्यादा साधन नहीं हुआ करती थी इसलिए लोग ज्यादातर ऊंटों का ही इस्तेमाल करते थे।

ऊंट की गर्दन काफी लंबी होती हैइसकी 4 लंबी लंबी टांगे और एक छोटी सी पूंछ होती है। ऊंट का मुख्य आहार पेड़ों की हरी पत्तियां कांटेदार झाड़ियां और सूखा चारा होता है। ऊंट की चमड़ी काफी मोटी होती है जिस वजह से इसके शरीर से पसीना बहुत कम निकलता है।

इसके अलावा तेज गर्मी के दिनों में भी ऊंट का शरीर ठंडा बना रहता है क्योंकि इसके शरीर में पानी की मात्रा काफी ज्यादा होती है जिस कारण ऊंट को ज्यादा गर्मी महसूस नहीं होती और वह लगातार आगे चलता रहता है। इसकी ऊंचाई तकरीबन 9 से 10 फीट तक होती है जिस कारण ऊंचे पेड़ों पेड़ों की झाड़ियों को आसानी से खा जाता है।

ऊंट एक बुद्धिमान पशुओं की श्रेणी में आता है क्योंकि यह जिस रास्ते से एक बार होकर गुजर जाता है वह उसे कभी नहीं भूलता। इसके मुंह में लगभग 34 दांत होते हैं। इसके अलावा इसके पैरों के पंजे काफी बड़े और गद्देदार होते हैं जिसे बजे से जेहे रेत में नहीं धस्ते।

ऊंट का रंग हल्का भूरे रंग का होता है इसके दो बड़े बड़े कान होते हैं जिनके आसपास एक दीवार से बनी होती है जो इसे धूल मिट्टी से बचाती है। जब भी धूल भरी आंधियां चलने लगती है तू ऊंट अपने नाथुन बंद कर लेता है।

मादा ऊंट का दूध काफी पौष्टिक तत्वों से भरपूर होता है इसमें मिनरल्स तांबा आदि पाए जाते हैं इसके दूध से आइसक्रीम मिठाईयां इत्यादि बनता है। इसके दूध में ऊर्जा की मात्रा काफी ज्यादा होती है जिस कारण यह इतने लंबे समय तक चल सकता है।

पुराने समय में ऊंट से वजन ढोने का काम लिया जाता था इसके अलावा इसे कृषि कार्यों में भी इस्तेमाल किया जाता था। पहले ऊंट लोगों के लिए यातायात का साधन हुआ करता था। किंतु आजकल ऊंट काा उपयोग बहुत कम देखने को मिलता है। ऊंट अपना पूरा जीवन चलने या फिर वजन ढोनेे में ही बिता देता है। इसकेे अलावा ऊंट के गोबर की खाद भी तैयार की जाती है जो फसलों केे लि बड़ी ही पौष्टिक आहार के रूप मेें फायदेमंद साबित होती है।


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