Monday, March 18, 2019

Paragraph on Air Pollution in Hindi - वायु प्रदूषण पर अनुच्छेद


Paragraph on Air Pollution in Hindi - वायु प्रदूषण पर अनुच्छेद 


वायु प्रदूषण पूरे समाज के लिए एक गंभीर समस्या बन चुका है दिन भर दिन बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण हमारे समाज के लिए एक बड़ा संकट खड़ा कर सकता है। शरद ऋतु की शुरुआत होने के बाद देश में वायु प्रदूषण विशेषकर धुआं और कार्बन डाइऑक्साइड युक्त प्रदूषण तेजी से फैलने  की खबरें आनी फिर शुरू हो गई है देश की राजधानी दिल्ली में तो प्रदूषण इस कदर बढ़ता जा रहा है कि प्रत्येक वर्ष दिल्ली प्रदेश तथा केंद्र सरकार को मिलकर युद्ध स्तर पर इससे निपटने का प्रबंध करना पड़ता है वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में पेट्रोल-डीजल, कोयला, लकड़ी, गोबर के उपले उद्योगों की जमीनों से निकलने वाला धुआं, खेतों में जलाई जाने वाली नाड या पराली, सरकारी सफाई कर्मचारियों द्वारा जा नागरिकों द्वारा जगह-जगह कूड़ा इकट्ठा कर उनमें आग लगा दी जाए जैसी वजय शामिल होती हैं।
इस प्रकार का वायु प्रदूषण जहां अस्थमा सांस की अन्य बीमारियां गले से संबंधित बीमारियों का कारण बनता है वहीं कैंसर के भी अधिकांश मरीज इसी प्रदूषित वातावरण की देन होते हैं। पैट्रोल जनित प्रदूषण दिमाग, लीवर, रक्त, तथा किडनी में समा जाता है इसके कारण मस्तिष्क का घात, लकवा, दौरा पड़ना जहां तक के इन्हीं बीमारियों से मौत हो जाने तक की संभावना बनी रहती है इसी कारण विश्व के अनेक विकसित देशों में पेट्रोल में लेड की मात्रा समाप्त कर दी गई है जबकि भारत में यह बदसूरत जारी है। खतरनाक वायु प्रदूषण के चलते ही केवल दिल्ली जैसे महानगर में फेफड़ों की बीमारियों से संबंधित मरीजों की संख्या सबसे अधिक है जहां के वातावरण में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड जहरीली गैसों की मात्रा सामान्य अथवा सुरक्षित मात्रा से 20 गुना से भी अधिक पाई गई है यही वजह है 26 जनवरी 2015 को देश की सबसे बड़ी गणतंत्र दिवस परेड में राजपथ पर परेड के मुख्य अतिथि तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने पर्यटन स्थल पर अधिक समय तक ना बैठ पाने का अनुरोध केवल इसलिए किया था क्योंकि उस समय राजपथ पर प्रदूषण की मात्रा सामान्य से कहीं अधिक थी। वायु प्रदूषण को लेकर और भी कई अफसरों पर देश को बदनामी का सामना करना पड़ा है।


अनेक निवेशक तथा अप्रवासी भारतीय इसे प्रदूषित वातावरण से दुखी हो कर देश छोड़ कर चले गए साफ सुथरे और शुद्ध वातावरण में रहने का आदी दुनिया का कोई भी व्यक्ति प्रदूषित वातावरण की खबर सुनकर भारत आना पसंद नहीं करता उधर सरकारे हैं कि या तो सर्दियों के शुरू होते ही प्रदूषण से निपटने के नाम पर ताल ठोकर मैदान में आ जाती है जब पंजाब और हरियाणा जैसे प्रमुख कृषि उत्पादक राज्यों में फसल की कटाई के बाद खेतों में बचे अवशेषों को जलाने के विरुद्ध सरकार का प्रचार हल्ला सुनाई देता है इस बार भी केंद्र सरकार तथा दिल्ली सरकार द्वारा राजधानी में प्रदूषण से निपटने हेतु 44 टीम बनाई गई है दिल्ली में कूड़ा करकट और प्लास्टिक के जलाने वालों पर कठोर कार्रवाई किए जाने की चेतावनी दी गई है राजधानी में होने वाले निर्माण कार्य और इससे बरती जाने वाली लापरवाही पर नजर रखी जा रही है प्रदूषण प्रमाण पत्र नहीं रखने वाले वाहनों के विरुद्ध कठोर कार्यवाही किए जाने का प्रस्ताव है सर्वोच्च न्यायालय द्वारा राजधानी में दस  वर्ष पुराने डीजल इंजन से चलने वाले वाहन तथा पेट्रोल चलित 15 वर्ष पुराने वाहनों को प्रतिबंधित कर दिया गया है इसके पूर्व नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल द्वारा भी ऐसा ही आदेश जारी किया गया सवाल यह है कि क्या इस प्रकार के हर वर्ष किए जाने वाले उपाय प्रदूषण को नियंत्रण कर पाने के लिए पर्याप्त है? कुछ जानकारों का तो यह भी मानना है कि 10 - 15 वर्ष पुरानी डीजल और पेट्रोल बहनों को प्रतिबंधित करने की सरकार की मंशा भी लोक हितकारी होने की बजाय उद्योगपतियों का हित साधने वाली है

दरअसल वायु प्रदूषण को नियंत्रित ना रख पाने में जहां देश की जनता काफी हद तक जिम्मेदार है वहीं कई सरकारी विभागों के लोग भी प्रदूषण नियंत्रण को लेकर गंभीर नहीं है सर्दियां शुरू होते ही प्रात: काल से लेकर देर रात तक उठने वाले धुएं का कारण वह लोग हैं जो रेलवे स्टेशन बस स्टैंड, पार्क जगह –जगह  बने चौराहों, मुख्य बाजारों में अपनी सर्दी दूर करने के नाम पर कूड़ा करकट या प्लास्टिक की थैली आदि जलाकर अपना हाथ पैर सेंकते रहते हैं।


इसी के साथ-साथ अनेक जगहों पर सफाई कर्मचारी को तो कूड़ा इकट्ठा कर इसका ढेर बढ़ाते हैं तथा अपने ही हाथों से इस में आग लगा देते हैं नागरिक जागरूकता का सतर तो यह है कि भीड़ भरे बाजार से रेत बालू का ट्रक गुजरता है परंतु इसके ऊपर त्रिपाल ना होने की वजह से बैठकर अपने पीछे रेत बालू का गुबार छोड़ता जाता है जो धुएं में मिलकर जहरीला वातावरण बनाने का काम करता है। निरंतर बढ़ता जा रहा शहरीकरन उद्योगों की बढ़ती संख्या तथा इनके कारण चिमणी उसे लगातार उगलता जहरीला धुआं और अभिषेक रूप से होने वाले वनों की कटाई जैसी समस्याएं वायु प्रदूषण को बढ़ाने में बेहद मददगार साबित हो रही है सरकार को देश के हर राज्य में एक टोल फ्री नंबर दिया जाना चाहिए जिस पर कोई भी व्यक्ति किसी भी वायु प्रदूषण फैलाने वाले गैर जिम्मेदार व्यक्ति द्वारा बनाई गई प्रदूषण की सूचना दे सके तथा उसकी फोटो भेज सके सूचना मिलते ही तुरंत टास्क फोर्स के सदस्यों का पहुंचना अनिवार्य होना चाहिए।

आज जगह-जगह कबाड़ी व्यवसाय से जुड़े लोग तांबे जा लोहे का तार निकालने के उद्देश्य से रबड़ और प्लास्टिक के केबल में थरमोकोल होम लकड़ी आदि में आग लगा देते हैं जिससे उठने वाला जहरीला धुंआ आम लोगों के लिए मुसीबत का कारण बन जाता है इसी इसी के साथ-साथ पूरे देश में हर महानगर से लेकर पंचायत सदस्य बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण की मुहिम छेड़े जाने की जरूरत है सरकार को चाहिए कि आम लोगों से वोट ठगने की योजनाएं बनाने के बजाय देश के हर नागरिक में पर्यावरण प्रेम तथा वृक्षारोपण के प्रति लगाव पैदा करने की व्यापक मुहिम चलाई आज हमारे देश की सरकारी स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर काफी पैसे खर्च कर रही है जल्दी प्रदूषण नियंत्रण की दिशा में इन्हीं पैसों को ईमानदारी के साथ सही जगह पर खर्च किया जाए तो स्वास्थ्य सेवाओं पर होने वाले खर्चों में भी काफी कमी आ सकती है ऐसे उपाय के द्वारा वायु प्रदूषण जैसी विकराल समस्या पर नियंत्रण हासिल किया जा सकता है। - निर्मल रानी 


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