Monday, March 18, 2019

Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध


Essay on Sardar Vallabhbhai Patel in Hindi सरदार वल्लभ भाई पटेल पर निबंध

सरदार पटेल ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध खेड़ा सत्याग्रह और वर्दोली विद्रोह का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया, बारदोली सत्याग्रह की महिलाओं ने ही उन्हें सरदार की उपाधि से नवाजा। वर्ष 1922, 1924 और 1927 महमूदाबाद नगर निगम के अध्यक्ष चुने गए वर्ष 1931 में वह कांग्रेस के अध्यक्ष चुने गए। सरदार पटेल को स्वतंत्र भारत के पहले उप प्रधानमंत्री और गृह मंत्री बनने का भी गौरव प्राप्त हुआ। उन्होंने देश के राजनीतिक एकीकरण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई वर्ष 1991 में उन्हें मरणोपरांत भारत रतन घोषित किया गया सरदार वल्लभ भाई पटेल को लौह पुरुष के नाम से भी जाना जाता है।


भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में सरदार पटेल का योगदान कभी नहीं भुलाया जा सकता है बल्लभ भाई पटेल का जन्म गुजरात के एक छोटे से गांव नाडियाड मैं 31 अक्टूबर 1875 को हुआ था उनके पिता झावेदभाई एक किसान और मां लाडबाई एक साधारण महिला थी। सरदार वल्लभभाई की शिक्षा करमसद मैं हुई। फिर उन्होंने पेटलाद के एक विद्यालय में प्रवेश किया 2 वर्ष के पश्चात उन्होंने नडियाद शहर के एक हाई स्कूल में प्रवेश लिया वल्लभ भाई वकील बनना चाहते थे और अपने इस सपने को पूरा करने के लिए उन्हें इंग्लैंड जाना था किंतु उनके पास इतने भी पैसे नहीं थी कि वह एक भारतीय महाविद्यालय में प्रवेश ले सकें। उन दिनों को एक उम्मीदवार व्यक्तिगत रूप से अध्ययन कर वकालत की परीक्षा में बैठ सकता था। अतः सरदार वल्लभ भाई पटेल ने अपने एक परिचित वकील से पुस्तक के उदाहरण और घर पर अध्ययन आरंभ कर दिया समय-समय पर उन्होंने अदालतों की कार्यवाही में भी भाग लिया और वकीलों के तर्कों को ध्यान से सुना।

इसका नतीजा यह हुआ के वल्लभ भाई ने वकालत की परीक्षा सफलतापूर्वक पास कर ली इसके बाद सरदार पटेल ने गोधरा में अपनी वकालत तो शुरू की और जल्द ही उनकी वकालत चल पड़ी इस बीच पटेल इंग्लैंड भी गए सरदार पटेल 1913 में भारत लौटे और अहमदाबाद में अपनी वकालत शुरु कि जल्द ही वह लोकप्रिय हो गए इस दौरान सरदार पटेल गांधी जी के चंपारण सत्याग्रह की सफलता से काफी प्रभावित थे।

1918 में गुजरात के खेड़ा खंड में सूखा पड़ा किसानों ने कर से राहत की मांग की लेकिन ब्रिटिश सरकार ने मना कर दिया गांधी जी ने किसानों का मुद्दा उठाया पर वह अपना पूरा समय खेड़ा में अर्पित नहीं कर सकते थे। इसलिए एक ऐसे व्यक्ति की तलाश कर रहे थे जो उनकी अनुपस्थिति मैं इस संघर्ष की अगुवाई कर सके इस समय सरदार पटेल खुद आगे आए और संघर्ष का नेतृत्व किया इस प्रकार उन्होंने अपने सफल वकालत के पेशे को छोड़ सामाजिक जीवन में प्रवेश किया वल्लभभाई ने खेड़ा में किसानों के संघर्ष का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। जिसके परिणाम स्वरूप ब्रिटिश सरकार ने राजस्व की वसूली पर रोक लगाई और करों  को वापस लिया और वर्ष 1919 में संघर्ष खत्म हुआ खेड़ा सत्याग्रह से वल्लभभाई पटेल राष्ट्रीय नायक के रूप में उभर कर सामने आई वल्लभ भाई ने गांधीजी के असहयोग आंदोलन का समर्थन किया और गुजरात कांग्रेस के अध्यक्ष के रूप में अहमदाबाद में ब्रिटिश सामान के बहिष्कार के आयोजनों में मदद की।


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