Saturday, March 16, 2019

5 Lines on Navratri in Hindi


5 Lines on Navratri in Hindi

5 Lines on Navratri in Hindi for class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10th students 

दुर्गा पूजा यानी के नवरात्रि का पर्व हिंदू लोगों का प्रमुख त्योहार है। 

नवरात्रि शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसका अर्थ है नवरात्रि इस पर्व के दौरान माता दुर्गा के सभी नौ रूपों की श्रद्धा और उल्लास के साथ पूजा की जाती है।

 ये साल में दो बार आता है जिसे चेत्र नवरात्र और शारदीय नवरात्र कहा जाता है 

जहां चैत्र नवरात्र से हिंदू वर्ष की शुरुआत मानी जाती है वह शारदी नवरात्र अधर्म पर धर्म की जीत का प्रतीक समझा जाता है यह बताता है कि मां की ममता जहां सर्वजन करती है वही मां का विकराल रूप दुष्टों का नाश भी करता है।

10 sentences about Navratri Festival in Hindi

शारदीय नवरात्र कब है?
शारदीय नवरात्रि को मुख्य नवरात्रि समझा जाता है हिंदू कैलेंडर के मुताबिक अशिवन नवरात्रि शुक्ल पक्ष से आरंभ होती है और पूरे 9दिनों तक होती है ग्रेगोरियन कैलेंडर के मुताबिक जब हर वर्ष सितेम्बर - अक्टूबर के महीने में मनाया जाता है इस बार शारदीय नवरात्रि 10 अक्टूबर से 18 अक्टूबर तक होगी 19 अक्टूबर को दशहरा का पर्व मनाया जाएगा।

नवरात्रि का महत्व :
नवरात्रि पर्व का विशेष महत्व है खासकर हिंदू धर्म में, यह पर्व हमें शिक्षा देता है क्योंकि पाप कितना भी बड़ा क्यों ना हो अंत में जीत सत्य और धर्म की ही होती है नवरात्रि के नौ दिनों को बेहद ख़ास समझा जाता है इन दिनों लोग देवी के नौ रूपों की पूजा कर उनसे आशीर्वाद प्राप्त करते हैं यह भी मान्यता है कि इन 9 दिनों में जो भी भक्त सच्ची श्रद्धा से मां दुर्गा की पूजा अर्चना करते है उसकी सब मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती हैं।

क्यों मनाई जाती है नवरात्रि और दुर्गा पूजा ?
दुर्गा पूजा और नवरात्रि का पर्व मनाए जाने के पीछे भिन्न-भिन्न कारण है ऐसी मान्यता है कि देवी दुर्गा ने महिषासुर नाम के राक्षस का वध किया था बुराई पर अच्छाई के प्रतीक के रूप में नवरात्र में नवदुर्गा की सच्चे मन से पूजा की जाती है। कुछ लोगों का मानना है कि वर्ष के इन 9दिनों में भी मां अपने मायके आती है ऐसे में नौ दिनों को मां दुर्गा उत्सव के रूप में बड़े ही उत्साह उल्लास के साथ मनाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है नवरात्रि का पर्व ?
नवरात्रि का पर्व पूरे भारतवर्ष में मनाया जाता है उत्तर भारत में 9 दिनों तक महादेव की अलग अलग रूपों की पूजा अर्चना की जाती है। इन 9दिनों में मां देवी के भक्त व्रत रखते हैं इस पर्व के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है। इसके पश्चात फिर अष्टमी या नवमी के दिन कुंवारी कन्याओं को भोजन कराया जाता है इन नौ दिनों में रामलीला भी की जाती है। इसके इलावा पश्चिम बंगाल में नवरात्रि के आखिरी 4 दिनों यानी के षष्ठी से लेकर नवमी तक दुर्गा उत्सव मनाया जाता है। नवरात्रि में महाराष्ट्र और गुजरात में डांडिया रास और गरबा डांस का खास महत्व होता है राजस्थान में नवरात्रि के समय राजपूत अपनी कुलदेवी को खुश करने के लिए जानवर की बलि भी देते हैं वहीं तमिलनाडु में देवी के पैरों के निशान और प्रतिमा को झांकी के तौर पर घर में स्थापित किया जाता है जिसे कोलू या फिर गोलू के नाम से जाना जाता है। लोग इन झांकियों को देखने आते हैं कर्नाटक में नवमी के दिन आयुध पूजा की जाती है जहां के मैसूर का दशहरा तो विश्व प्रसिद्ध माना जाता है।

कैसे रखें नवरात्रि का व्रत ?
नवरात्रि के व्रत का मतलब सिर्फ भूखे –प्यासे रहना नहीं होता बल्कि अपार भक्ति और श्रद्धा के साथ मां की पूजा उपासना करना भी होता है इन्हीं 9 दिनों के दौरान माता के भक्त अपने सामर्थ्य के मुताबिक मां की पूजा आराधना करते हैं। कुछ भक्त इन्हीं 9दिनों के दौरान सिर्फ फलाहार ग्रहण करते हैं वहीं कुछ भक्त इस दौरान एक बार भी नमक नहीं खाते इसके अलावा कुछ भक्त ऐसे भी होते हैं जो लौंग या इलायची खाकर व्रत रखते हैं। ऐसा माना गया है कि मां दुर्गा बड़ी ही दयालु है और वह जे नहीं देखती कि किसने व्रत में क्या खाया और क्या नहीं बल्कि वह तो अपने भक्तों की श्रद्धा को देखती है। यदि आप भी नवरात्रि के व्रत रखना चाहते हैं तो आपको भी कुछ नियमों का पालन रखना होगा जैसे

·       नवरात्रि के प्रथम दिन कलश स्थापना कर, नौ दिनों तक का व्रत रखने का संकल्प लें।

·       पूरे सच्चे मन से मां दुर्गा की पूजा करें।

·       दिन के समय आप दूध और फल ले सकते हैं।

·       शाम के वक्त मां दुर्गा की आरती उतारे।

·       इस दौरान सभी में प्रसाद बांटे और इसके पश्चात अब खुद भी प्रसाद लें।

·       फिर भोजन ग्रहण करें।

·       जितना हो सके इस समय अन्न ना खाएं केवल फलाहार ग्रहण करें।

नवरात्रि में अखंड ज्योति -

दीपक के बिना हर पूजा अधूरी मानी जाती है क्योंकि दीपक प्रकाश, श्रद्धा और  ज्ञान का प्रतीक समझा जाता है। इस पर्व के नौ दिनों के दौरान अखंड ज्योति जलाई जाती है। जिसका अर्थ है जो दीया इन दिनों जलाया जाता है वह नवरात्रि के सभी दिनों में जलता रहन चाहिए। नवरात्रि के पहले दिन व्रत रखते हुए कलश की स्थापना की जाती है फिर अखंड दीपक को जलाया जाता है ऐसा माना गया है के यह दीपक नवरात्रि और व्रत की समाप्ति तक जलता रहना चाहिए ये बुझना नहीं चाहिए।

कलश स्थापना क्यों की जाती है ?

कलश स्थापना का नवरात्रि के दिनों में विशेष महत्व होता है जिसे घट स्थापना भी कहा जाता है। नवरात्रि पर्व की शुरुआत ही कलश स्थापना जानी के घट स्थापना के साथ ही होती है। कलश स्थापना शक्ति की देवी का आह्वान है ऐसा माना गया है कि गलत समय में कलश स्थापना करने से देवी माता क्रोधित हो जाती है रात्रि के समय और अमावस्या के दिन कलश स्थापित नहीं करना चाहिए। घट स्थापित करने का सबसे अच्छा समय प्रतिपदा का एक तिहाई भाग गुजर जाने के बाद ही होता है यदि किसी कारणवश आप उस वक्त कलश स्थापित ना कर सकें तो अभिजीत मुहूर्त में भी था किया जा सकता है प्रत्येक दिन का आठवां मुहूर्त अभिजीत मुहूर्त होता है सामान्यता ये केवल 40 मिनट का ही होता है।

कलश स्थापना की सामग्री - दुर्गा मां को लाल रंग बेहद पसंद है इसलिए लाल रंग का ही आसन होना चाहिए और लकलश स्थापना के लिए मिट्टी का पात्र, जौ , मिट्टी, कपूर, लौंग, इलायची, जल से भरा हुआ कलश , साबुत चावल , आम के पांच पत्ते , नारियल, सिंदूर , फल -फूल और फूलों की माला

कलश स्थापना कैसे करें ?

·       नवरात्रि वाले दिन सुबह स्नान कर लेना चाहिए।

·       मंदिर की साफ सफाई के पश्चात गणेश जी का जप करें और मां दुर्गा के नाम से अखंड ज्योति जलाएं।

·       कलश स्थापना करने के लिए मिट्टी का एक पात्र लेकर उसमें जौ के बीज बोएं।

·       तांबे का एक लोटा लेकर उस पर रोली से स्वास्तिक बनाएं इस बर्तन के ऊपरी हिस्से पर मौली बांधे।

·       अब इस तांबे के लोटे में पानी भर कर उसमें कुछ बूंदें गंगाजल की मिला दे इसके पश्चात सवा रुपैया,  सुपारी,  इत्र  और अक्षत डालें।

·       इसके पश्चात कलश में आम के पांच पत्तों को लगा दें।

·       अब एक नारियल लेकर और उसे लाल कपड़े में लपेटकर उसे मौली से बांध दें।  इसके बाद नारियल को कलश के ऊपर रख दें।

·       इसी कलश को मिट्टी के उस पत्र के ठीक बीचों-बीच रख दे जिसमें आपने जौ बोए हैं।

Navratri essay in Hindi 500 words - नवरात्रि पर्व पर निबंध  - 2

Essay on Navratri in Hindi

भारत में नवरात्रि का पर्व बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है। नवरात्रि के त्योहार के दिनों में देवी दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है यह पर्व 9 दिनों तक मनाया जाता है। नवरात्रि शब्द संस्कृत भाषा से लिया गया है जिसमें नव का अर्थ है नौ  दिन तथा रात्रि का अर्थ है रात।
नवरात्रि का त्योहार 9 दिनों तक मनाया जाने वाला त्यौहार होता है इसके अगले दिन दशहरा यानि के विजयदशमी का त्यौहार मनाया जाता है। रामायण के मुताबिक इसी दिन भगवान श्री राम के द्वारा रावण का वध किया गया था जिस कारण इसी को मुख्य रखते हुए यह पर्व भारत में बड़े ही उत्साह और उल्लास के साथ मनाया जाता है तथा इसी दिन रावण दहन भी किया जाता है।
नवरात्रि के दिनों में दुर्गा मां के 9 अवतारों की पूजा अर्चना पूरे पारंपरिक तथा रीति रिवाज के साथ की जाती है माता दुर्गा के नौ रूप इस प्रकार है शैलपुत्री, ब्रह्मचारिणी, महागौरी, कुष्मांडा, चंद्रकांता, कात्यायनी, सिद्धिदात्री। यह पर्व हर साल 5 बार आता है हिंदू कैलेंडर के मुताबिक चैत्र महीने में नवरात्रि त्यौहार को बसंत नवरात्रि के नाम से जाना जाता है जो आधुनिक युग के कैलेंडर के अनुसार मार्च के महीने में आता है वसंत नवरात्रि के नौ में दिन को रामनवमी के रूप में मनाया जाता है। इसी तरह से जून और जुलाई में गुप्त नवरात्रि आती है इस दिन को गायत्री नवरात्रि के नाम से जाना जाता है अक्टूबर और नवंबर में शरद नवरात्रि आती है जो हिंदू कैलेंडर के अनुसार अश्विन महीने के रूप में जाना जाता है हिंदू कैलेंडर के पौष महीने में पौष नवरात्रि आता है। जोकि जनवरी और दिसंबर महीने में आता है आखिर में जनवरी और फरवरी महीने के समय माघ महीने में माघ नवरात्रि का पर्व मनाया जाता है।

नवरात्रि पर्व के दिनों में भक्त दिन में सिर्फ एक बार भोजन करके या कुछ श्रद्धालु या भक्त फल खाकर उपवास रखते हैं भारत में अलग अलग नवरात्रि के कई रंग और रूप देखने को मिलते हैं। नवरात्रि पर्व के आखरी दिन अर्थात 9 में दिन कई लोग कन्या पूजन भी करते हैं इस पूजा में 9 छोटी लड़कियों को माता देवी के नौ रूप समझ कर उनकी पूजा-अर्चना करते हैं इसके साथ ही उन्हें मिठाईयां हलवा और नए वस्त्र देते हैं।

भारत के विभिन्न विभिन्न राज्यों में यह त्योहार (festival) अलग अलग तरीकों से मनाया जाता है गुजरात में इस पर्व के समय हर रात को गरबा और डांडिया किया जाता है। गरबा आरती से पूर्व किया जाता है और इसके पश्चात डांडिया खेला जाता है।
नवरात्रि के पहले 3 दिन मां दुर्गा की पूजा अर्चना की जाती है इन 3 दिनों में मां दुर्गा की विशेष प्रकार से पूजा की जाती है। इसके पश्चात मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है इन्हीं दिनों में लोग लक्ष्मी की पूजा कर उनसे धन और संपत्ति पाने की कामना करते हैं। इसके अगले 3 दिन बाद सरस्वती की पूजा-अर्चना की जाती है मां सरस्वती बुद्धि और ज्ञान प्रदान करती है।



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