Friday, March 29, 2019

5 Lines on Crow in Hindi


5 Lines on Crow in Hindi


5 Lines on Crow in Hindi for class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10th students

कौवा काले रंग का पक्षी होता है जिसकी ध्वनि काय- काय करने की होती है। 

इस पक्षी को राजस्थानी भाषा में कागला और मारवाड़ी में हाडा के नाम से पुकारा जाता है। 

लगातार हो रहे पर्यावरण में बदलाव के चलते आज यह पक्षी बहुत कम दिखाई देता है कई जगह तो यह बिलकुल दिखाई भी नहीं देता जे विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुका है। 

श्राद्ध के महीने में कौवे की पूजा की जाती है।

कौवे का महत्व - कौवा जंगलों और गांवों - शहरों में रहने वाला पक्षी है।

 एक तो जंगली कौए होते हैं दूसरे घरेलू कौए जंगली कौए पूरी तरह से काले रंग के होते हैं जब के घरेलू काले और से सलेटी दो रंगों में होते हैं। 

इसे संदेशवाहक भी कहा जाता है जब कभी जे छत की मुंडेर पर बैठकर कांव कांव करने लगे तो इसका मतलब यह होता है कि कहीं से कोई संदेश वाहक आने वाला है। 

10 Sentences about Crow in Hindi for kids 

भारत में श्राद्ध के दिनों में इस पक्षी का विशेष महत्व है इन्हीं दिनों पितरों को खाना खिलाने के तौर पर सबसे प्रथम इन पक्षियों को खाना खिलाया जाता है। 

ऐसा समझा जाता है कि जब किसी मानव की मृत्यु हो जाती है तो वह सबसे पहले कौए का जन्म लेता है। 

इसी वजह से श्राद्ध के दिनों में कौवा को खाना खिलाने से पितरों को खाना खाने के सामान समझा जाता है। 

श्राद्ध के देना एक थाली में खाना परोस कर घर की छत पर रख दिया जाता है और उनकी आवाज में कौआ को बुलाया जाता है आवाज लगाते ही जब कोई कौए आ जाए तो उसको वह खाना परोस दिया जाता है। 

इसके अलावा उसके पास पानी से भरा हुआ एक कटोरा भी रख दिया जाता है। जब यह खाना खाने के लिए छत पर पहुंच जाता है तो ऐसा माना जाता है कि उन्होंने जिस पूर्वजों का श्राद्ध किया है वह खुश है और खाना खाने आ गया है। 

कौवा के ना आने या फिर देरी के आने से माना जाता है कि पितर नाराज है। फिर उसको खुश करने के लिए कई तरह के उपाय किए जाते हैं।

आज कौवा संकट का सामना कर रहा है अब इसे संकटग्रस्त पक्षियों की श्रेणियों में शामिल कर दिया गया है। क्योंकि अब यह पक्षी विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुका है। 

अब कौए कहीं नहीं दिखते। भविष्य में शायद ही इस शब्द का कोई अर्थ रह जाएगा कि "झूठ बोले कौवा काटे"। 

वातावरण में असंतुलन की वजह से ही पक्षियों की बहुत सारी प्रजातियां विलुप्त हो चुकी है या फिर विलुप्त होने की कगार पर पहुंच चुकी है जिनमें से कौवा भी शामिल है। 

इसके अलावा खेतों में कीटनाशक दवाइयों के इस्तेमाल से इसे खाने के लिए कीड़े मकोड़े नहीं मिल पाते जिस बजय से भोजन ना मिल पाने की वजह से भी कौवा संकटग्रस्त पक्षी बन चुका है।


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