Wednesday, January 16, 2019

Essay on Pongal in Hindi | पोंगल पर निबंध

Essay on Pongal in Hindi | पोंगल पर निबंध 


Essay on Pongal in Hindi | पोंगल पर निबंध

Essay on Pongal in Hindi Language पोंगल दक्षिण भारत मुख्य रूप से तमिलनाडु का सबसे लोकप्रिय और प्रमुख त्यौहार है। तमिल भाषा में पोंगल का अर्थ होता है विप्लव व उफान इस त्योहार को पोंगल इसलिए कहते हैं क्योंकि इस दिन सूर्य की पूजा होती है और सूर्य को जो प्रसाद अर्पित किया जाता है उसे अच्छी तरह उबाला जाता है। दक्षिण भारत के प्रमुख त्योहारों में से एक है पोंगल का त्यौहार जहां उत्तर भारत में मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है वहीं दक्षिण भारत में खासतौर पर तमिलनाडु में हिंदू लोग धूमधाम से पोंगल का त्यौहार बनाते हैं लगभग 4 दिनों तक चलने वाला यह पर्व मुख्य रूप से खेती का पर्व होता है। इश्क त्यौहार के दौरान सूर्य की उपासना होती है पोंगल सूरज के दक्षिणायन से उत्तरायण होने का प्रतीक होता है। तमिलनाडु मे लोग फसल के इस पर्व को उत्साह के साथ मनाते है।

पारंपरिक रूप से पोंगल का त्यौहार धान की फसल को घर लाने की खुशी प्राप्त करने के लिए मनाया जाता है । पोंगल तमिल महीने की 1 तारीख को यानि  जनवरी के मध्य में मनाया जाता है पोंगल से पहले घरों की साफ-सफाई की जाती है।
Essay on Pongal in Hindi | पोंगल पर निबंध

यह पर्व 4 दिन तक चलता है और हर दिन पोंगल का अलग नाम होता है पहले पोंगल को भोगी पोंगल कहते हैं भोगी पोंगल पर पुरानी वस्तुओं को जला देते हैं यह बुराइयों के अंत और ईश्वर के प्रति सम्मान को दर्शाता है। इस दिन अग्नि के इर्द-गिर्द  ढोल बजाते हैं ढोल को तमिल में बुग्गी कहते हैं। भैंस के सींग से बना बोगी ऋतु के राजा इंद्र को समर्पित होता है इंद्र नई ऋतु के आगमन की घोषणा करते हैं।

Essay on Pongal in Hindi

दूसरे पोंगल को सूर्य पोंगल कहते हैं यह भगवान सूर्य को अर्पित होता है इस दिन पोंगल नामक एक विशेष प्रकार की खीर बनाई जाती है जो मिट्टी के बर्तन में नए धान से तैयार चावल , मूंग दाल और गुड़ से बनती है पोंगल तैयार होने के पश्चात सूरज देव की विशेष पूजा की जाती है उन्हें प्रसाद रूप में पोंगल व  गन्ना अर्पित किया जाता है और अच्छी फसल देने के लिए कृतज्ञता व्यक्त की जाती है।

तीसरे पोंगल को मट्टू पोंगल कहा जाता है तमिल मान्यताओं के अनुसार मट्टू भगवान शंकर का बैल है जिसे एक भूल के कारण भगवान शंकर ने पृथ्वी पर रहकर मानव के लिए अन्न पैदा करने को कहा और तब से वह पृथ्वी पर रहकर कृषि कार्य में मानव की मदद कर रहा है इस दिन किसान अपने बैलों को स्नान कराते हैं। उनके सिंह ऊपर तेल लगाते हैं और विभिन्न प्रकार से उन्हें सजाते हैं बैलों को सजाने के बाद उनकी पूजा की जाती है।

बैल के साथ ही इस दिन गाय और बछड़े की भी पूजा की जाती हैं जिसमें बहनें अपने भाइयों की खुशहाली के लिए पूजा करती है भाई अपनी बहनों को उपहार देते हैं।

4 दिनों के इस पर्व  के अंतिम दिन कन्या पोंगल मनाया जाता है जिसे लोग तिरुवल्लर के नाम से भी पुकारते हैं। इस दिन घरों को सजाया जाता है आम और नारियल के पत्तों से दरवाजों पर तोरण बनाया जाता है। महिलाएं इस दिन  घर के मुख्य द्वार पर कोलम अर्थात रंगोली बनाती है। इस दिन पोंगल का पर्व  बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है। लोग नए वस्त्र पहनते हैं और दूसरों के जहां पोंगल और मिठाई भी देते हैं इस पोंगल के दिन ही विविध प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती है जो काफी प्रसिद्ध है रात्रि के समय लोग सामूहिक भोज का आयोजन करते हैं और एक दूसरे को नववर्ष की शुभकामनाएं देते हैं इस प्रकार हर वर्ष यह ख़ास पर्व हर्ष और उल्लास का पर्व आनंद और उत्साह के साथ मनाया जाता है।

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