Essay on Crow in Hindi कौवे को बड़ा ही निराला और बुद्धिमान पक्षी माना जाता है किन्तु क्या आप कौए से जुड़े कुछ मज़ेदार तथ्य जानना चाहते हैं ऐसे तथ्य जो आप नहीं जानते होंगे तो यह पोस्ट पढ़ते रहिये तो चलिए जानते हैं फिर कौआ से जुड़े तथ्य
कौए का मस्तिष्क (Brain) बाकी पक्षियों के मुकाबले काफी विकसित होता है इसीलिए कौवे को पक्षियों में काफी बुद्धिमान माना जाता है। अंटार्कटिका को छोड़कर कौवे दुनियाभर में पाए जाते हैं। श्राद्ध के महीने में कौवे की पूजा की जाती है क्योंकि इस महीने कौवे को भोजन कराना पितरों को भोजन कराने के समान समझा जाता है क्योंकि माना गया है के कौवे ने ही अमृत का पान किया था।
अक्सर माना जाता है के जब कौवा घर की मुंडेर पर बैठकर काऊं काऊं करे तो यह किसी मेहमान के आने का संदेश देता है। कौए (Crow) सर्वाहारी होते हैं जो भी मिले वह उसे चट कर जाते हैं। जब मादा कौवा अंडे देती है तो नर कौवा अंडों की देखभाल करता है।मादा कौवा और नर कौवा दोनों एक साथ अपने बच्चों की देखभाल करते हैं। भारत में कौए की छे प्रजातियां पायी जाती हैं। ऐसा माना जाता है के कौए को भविष्य में होने वाली घटनाओं का पहले ही पता चल जाता है।
कौए ज्यादातर झुंडों और पेड़ों पर रहना पसंद करते हैं। जंगली कौवे की चोंच मोटी होती है। कौए (Crow) की उम्र 10 से 15 वषों तक होती है वहीँ ऑस्ट्रेलियन कौवा 22 वर्षों तक जीवित रहता है। सभी कौवों की प्रजातियों का प्रजनन काल अलग अलग होता है किन्तु घरेलू कौवे का प्रजनन अप्रैल से जून महीने तक चलता है। कहते हैं के जब कौए की मौत हो जाती है तो सेंकडों कौए इकठे होकर उसका मातम मनाते हैं। कौए को जब रोटी का एक भी टुकड़ा मिल जाए तो यह अपने साथियों के साथ मिलकर खाता है।
आपको शायद ना पता हो कौवा कोयल के अंडे सेता है और उन्हें अपने बच्चे समझकर पालता भी है। जंगली कौवा लगभग मांसहारी ही होता है यह गिद्ध जैसे पक्षियों के साथ मिलकर मांस खाता है।
Essay on Crow in Hindi - 2
कौवा संसारभरमें हर जगह पाया जाने वाला पक्षी है। कौवा का रंग काला होता है। आसमान में उड़ने वाले पक्षियों में कौवे को सबसे बुद्धिमान माना जाता है। श्राद्ध के महीने में कौवों की पूजा की जाती है। घर की छत पर अगर कौआ बोलने लगे तो किसी मेहमान के आने का संदेश माना जाता है। कौए कांउ -कांउ की आवाज़ से सबको प्रभावित करता है।
भारत में कौए की छे प्रजातियां पायी जाती हैं। नर कौवा और मादा कौवा दोनों मिलकर अपने बच्चों को पालते हैं। इसी तरह जब मादा कौवा अंडे देती है तो नर कौवा उसकी देखभाल करता है। पुराने समयों में तो कौवे गाँवों में बच्चों की थाली में से रोटी उठाकर ले जाते थे।
कौए ज्यादातर झुंडों और पेड़ों पर रहना पसंद करते हैं। जंगली कौवे की चोंच मोटी होती है। कौए की ज्यादातर उम्र 20 वर्ष तक होती है। । ऐसा माना जाता है के कौवा को भविष्य में होने वाली घटनाओं का पहले ही पता चल जाता है।
भारत की कई जगहों पर काला कौवा बहुत कम दिखाई देता है इसकी मुख्य वजह बिगड़ रहा पर्यावरण इन पक्षियों को खत्म कर रहा है। जिस कारण श्राद्ध के दिनों में यह पक्षी तलाशने से भी नहीं मिल पा रहे हैं। जिस कारण इन दिनों में लोग गाय या अन्य पक्षियों को भोजन का अंश देकर श्राद्ध मनाते हैं। जंगली कौवा का पूरा शरीर काले रंग का होता है जब के घरेलू कौए के गले में एक सलेटी रंग की पट्टी सी बनी होती है। इसकी चोंच लंबी और मोटी होती है जिससे वह अपना शिकार करता है। जह दूसरे पक्षियों की बजाय ज्यादा बुद्धिमान जानवर माने जाते हैं। जे पलक झपकते ही चीज को उठा लेते हैं। इनकी याददाश्त तो बड़ी ही लाजवाब होती है यह अपने लिए सुरक्षित रखे गए भोजन को कभी नहीं भूलता जिसे यह भूख लगने पर खाता है। इनकी चोंच मोटी और काली रंग की होती है। इस पक्षी को पर बहुत सारी प्रेरक कहानियां बनी है जिससे हमें शिक्षा हासिल होती है।
crow information in Hindi
कौवा एक बुद्धिमान और चलाक पक्षियों में से गिना जाता है जिसके शरीर का रंग काला होता है। संसार भर में इसकी अनेक प्रजातियां पाई जाती है। जो एक दूसरे से अलग होती है। इनका मुख्य आहार सब्जियां , फल और अनाज आदि होता है इसके अलावा जो गिद्धों की तरह आज भी खाता है जिसे सर्वाहारी भी कहा जाता है।
यह अपनी कॉउ कॉउ की आवाज से सबको तंग करता है। वर्तमान में इनकी संख्या में भारी गिरावट आई है यह आज संकटग्रस्त पंछी बन चुका है। पहले इनकी संख्या झुंड में देखी जाती थी किंतु आज ये पक्षी कहीं भी देखने को नहीं मिल पाता। इन की मुख्य वजह लगातार पेड़ों की कटाई बढ़ता हुआ वायु प्रदूषण किसानों के द्वारा खेतों में इस्तेमाल किए जाने वालु कीटनाशक दवाइयां , यह सब कारण इसे हमसे दूर कर रहे हैं।
काले रंग का कौवा ज्यादातर जंगलों में रहता है वह लगभग मांसाहारी होते हैं जो गिद्धों की तरह जंगलों में रहकर मांस ढूंढकर जा फिर छोटे पक्षियों को खा जाता है। इनकी उड़ान भी बहुत ऊंची और तेज होती है यह शिकार करने में बहुत माहिर होते हैं। यह जंगल में रहने वाले छोटे-छोटे पक्षियों के बच्चों को अपना शिकार बनाता है। यह दिन भर खाने की तलाश में भटकते रहते हैं। जंगलों में यह पक्षी झुंड बनाकर रहते हैं।
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