Essay on Tiger in Hindi | बाघ पर निबंध - बाघ भारत का राष्ट्रीय जानवर है इसे संसार के सर्वाधिक आकर्षिक और घातक जानवरों में से एक गिना जाता है। वर्तमान में बाघ सिर्फ़ एशिया में पाया जाता है। भारत में पाए जाने वाले बाघ (Tiger) को बंगाल टाइगर के नाम से जाना जाता है।
बाघ की लगभग 8 प्रजातियां पायी जाती हैं। बाघ ज्यादातर भारत , नेपाल , भूटान , अफगानिस्तान और इंडोनेशिया में पाया जाता है इसके पैरों में नुकीले नाख़ून होते हैं जो शिकार की चीर फाड़ आसानी से कर सकते हैं। यह ज्यादा गर्मी नहीं सहन कर पाता इसीलिए बाघ दिन के समय ज्यादातर पेड़ों की छाया , खंडहरों और गुफाओं में आराम करते हैं।
बाघ की शरीरक सरंचना कुछ इस प्रकार होती है के यह काफ़ी ऊचाई तक छलांग लगा सकता है इसके इलावा बाघ में कई प्रकार की आवाज़ें निकालने की क्षमता होती है किन्तु इसकी दृष्टि कमज़ोर होती है। बाघ बिल्ली के परिवार की प्रजाति में सबसे अधिक बड़ा जानवर है। इसकी सभी प्रजातियों के बाघों के आकार ,रंग और धारियों के डिज़ाइन में काफी अंतर् होता है। संसार का सबसे बड़ा बाघ साइबेरिया का बाघ है।
हिरण , जंगली सूअर और चीतल वभिन्न प्रकार के जानवरों को अपना शिकार बनाता है। बाघ की त्वचा का रंग बड़ा शानदार होता है यह ज्यादातर भूरापन और सुनहरी रंग का होता है तथा शरीर के नीचे का भाग सफ़ेद और मटमैले रंग का होता है शरीर पर काले रंग की धारियां होती हैं। इसकी पूंछ भी काफी बड़ी और काली धारियां लिए होती है।
नर बाघ चार वर्ष की उम्र तक प्रजनन योग्य हो जाते हैं जबकि मादा बाघ तीन वर्ष तक प्रजनन के लिए तैयार होती है। बाघ का प्रजनन काल बड़ा ही रोमांचिक होता है नर बाघ पूरे वर्ष अकेले ही घूमता रहता है यह केवल समागम काल के दौरान ही मादा बाघ के साथ रहता है इस दौरान नर बाघ दुसरे बाघ को नजदीक नहीं आने देता यदि कोई दूसरा बाघ आता भी है तो दोनों में भयानक लड़ाई होती है मादा का गर्भकाल समय 105 दिनों का होता है।
शावक लगभग 40 दिनों तक अपनी माँ का दूध पीते हैं इसके बाद वह अपनी माँ के द्वारा किये गए शिकार को खाना आरंभ कर देते हैं। बाघ एक प्रजनन काल के दौरान कई मादाओं के साथ प्रजनन करता है और प्रजजन काल समाप्त होने पर वह मादा से अलग हो जाता है। यानि के मादा अकेले ही बच्चों का पालन पोषण करती है।
लगातार हो रही वृक्षों की कटाई और शिकारियों द्वारा शिकार किये जाने की वजय से पिछले कुछ वर्षों से बाघों की संख्या में कमी आयी है इसीलिए हमारे राष्ट्रीय जानवर के जीवन की रक्षा के लिए बाघों के शिकार पर रोक लगायी गयी हैऔर बाघों की घटती हुई संख्या को देखते हुए हर वर्ष 29 जुलाई को बाघ दिवस मनाया जाता है ता जो लोगों में इस जानवर के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके ।
बाघ पर निबंध: 2
बाघ एक अत्यंत सुंदर और प्राचीन प्राणी है, जो जंगल में वैभव का प्रतीक है। इसे वन्यजीवों का राजा माना जाता है और इसकी सुंदरता, ताकत और गर्व के कारण इसे एक आदर्श जानवर माना जाता है। बाघों को उनके छोटे आकार और बिल्ली जैसे चेहरों के आधार पर "जंगली बिल्लियों" के रूप में भी जाना जाता है।
बाघ एक प्रमुख मांसाहारी है और इसका मुख्य शिकार हिरण, भेड़िये, बंदर, खरगोश और बाघ बिल्लियाँ हैं। यह शानदार जानवर अपनी जटिल शिकार रणनीतियों के लिए प्रसिद्ध है, जिसमें यह धीरे-धीरे हमला करता है और फिर एक अंतर्निर्मित चाल से मारता है।
बाघों का मुख्य आवास जंगलों में है, लेकिन वे पहाड़ियों, रेगिस्तानों और घास के मैदानों में भी पाए जा सकते हैं। यह शानदार जानवर अपनी गहरी रोशनी और तेज आवाज के लिए भी मशहूर है। बाघ लंबे समय तक सोते हैं और रात में जागते रहते हैं जब वे अपने शिकार का शिकार करते हैं।
हालांकि, बाघों की संख्या में गिरावट के कारण यह एक प्राकृतिक खतरे का सामना कर रहा है। वन्य जीवन, अवैध शिकार और वन अतिक्रमण के लिए अपने प्राकृतिक आवास के नुकसान के कारण बाघों के लिए सुरक्षा बढ़ाना महत्वपूर्ण है।
बाघों के संरक्षण के लिए विभिन्न सरकारी और गैर-सरकारी संगठनों द्वारा कई पहलुओं को अपनाया जा रहा है। वन्य जीव रक्षकों, वन्य जीव रक्षकों एवं जनसंगठनों के सहयोग से बाघों के प्राकृतिक आवासों के संरक्षण की योजनाएँ चलाना आवश्यक है।
समर्पित प्रयासों से हम सभी बाघों को उनके प्राकृतिक आवास में सुरक्षित रख सकते हैं और उनकी संख्या बढ़ा सकते हैं। हम सबका दायित्व है कि हम वन्य जीवों के प्रति यथासंभव संवेदनशील और सहयोगी बनें, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी बाघों की इस सुंदर और प्राचीन रचना का आनंद उठा सकें।
बाघ भारत का राष्ट्रीय जानवर है इसे संसार के सर्वाधिक आकर्षिक और घातक जानवरों में से एक गिना जाता है। वर्तमान में बाघ सिर्फ़ एशिया में पाया जाता है। भारत में पाए जाने वाले बाघ (Tiger) को बंगाल टाइगर के नाम से जाना जाता है। बाघ की लगभग 8 प्रजातियां पायी जाती हैं। बाघ ज्यादातर भारत , नेपाल , भूटान , अफगानिस्तान और इंडोनेशिया में पाया जाता है इसके पैरों में नुकीले नाख़ून होते हैं जो शिकार की चीर फाड़ आसानी से कर सकते हैं। यह ज्यादा गर्मी नहीं सहन कर पाता इसीलिए बाघ दिन के समय ज्यादातर पेड़ों की छाया , खंडहरों और गुफाओं में आराम करते हैं।
बाघ की शरीरक सरंचना कुछ इस प्रकार होती है के यह काफ़ी ऊचाई तक छलांग लगा सकता है इसके इलावा बाघ में कई प्रकार की आवाज़ें निकालने की क्षमता होती है किन्तु इसकी दृष्टि कमज़ोर होती है। बाघ बिल्ली के परिवार की प्रजाति में सबसे अधिक बड़ा जानवर है। इसकी सभी प्रजातियों के बाघों के आकार ,रंग और धारियों के डिज़ाइन में काफी अंतर् होता है। संसार का सबसे बड़ा बाघ साइबेरिया का बाघ है।
हिरण , जंगली सूअर और चीतल वभिन्न प्रकार के जानवरों को अपना शिकार बनाता है। बाघ की त्वचा का रंग बड़ा शानदार होता है यह ज्यादातर भूरापन और सुनहरी रंग का होता है तथा शरीर के नीचे का भाग सफ़ेद और मटमैले रंग का होता है शरीर पर काले रंग की धारियां होती हैं। इसकी पूंछ भी काफी बड़ी और काली धारियां लिए होती है।
नर बाघ चार वर्ष की उम्र तक प्रजनन योग्य हो जाते हैं जबकि मादा बाघ तीन वर्ष तक प्रजनन के लिए तैयार होती है। बाघ का प्रजनन काल बड़ा ही रोमांचिक होता है नर बाघ पूरे वर्ष अकेले ही घूमता रहता है यह केवल समागम काल के दौरान ही मादा बाघ के साथ रहता है इस दौरान नर बाघ दुसरे बाघ को नजदीक नहीं आने देता यदि कोई दूसरा बाघ आता भी है तो दोनों में भयानक लड़ाई होती है मादा का गर्भकाल समय 105 दिनों का होता है।
शावक लगभग 40 दिनों तक अपनी माँ का दूध पीते हैं इसके बाद वह अपनी माँ के द्वारा किये गए शिकार को खाना आरंभ कर देते हैं। बाघ एक प्रजनन काल के दौरान कई मादाओं के साथ प्रजनन करता है और प्रजजन काल समाप्त होने पर वह मादा से अलग हो जाता है। यानि के मादा अकेले ही बच्चों का पालन पोषण करती है।
लगातार हो रही वृक्षों की कटाई और शिकारियों द्वारा शिकार किये जाने की वजय से पिछले कुछ वर्षों से बाघों की संख्या में कमी आयी है इसीलिए हमारे राष्ट्रीय जानवर के जीवन की रक्षा के लिए बाघों के शिकार पर रोक लगायी गयी हैऔर बाघों की घटती हुई संख्या को देखते हुए हर वर्ष 29 जुलाई को बाघ दिवस मनाया जाता है ता जो लोगों में इस जानवर के प्रति जागरूकता बढ़ाई जा सके ।
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