Monday, December 30, 2019

Essay on Character in Hindi | चरित्र का महत्व पर निबंध

Essay on Character in Hindi | चरित्र का महत्व पर निबंध


सबसे बडा बल और धन : चरित्र Essay on Character in Hindi


विचारों की नींव पर चरित्र रूपी भवन खड़ा होता है। श्रेष्ठ चिंतन एवं सद्गुणों की संपत्ति से चरित्र बल का निर्माण होता है यही मनुष्य की प्रेरणा का सबल बनता है। परंतु हमारी वर्तमान व्यवस्था आज भी रोटी, कपड़ा और मकान के विकास तक ही सीमित है, केवल भौतिक समृद्धि समाज को शांति के पथ पर नहीं ले जा सकती। समाज में जब तक सात्विक प्रवृत्तियों के माध्यम से चरित्र बल उत्पन्न नहीं होता तब तक सारी भौतिक सुविधाएं व्यर्थ हैं। ऐसी अवस्था समाज को अधोगति की ओर ले जाती है।

दृढ़ चरित्र बल का अभाव राष्ट्र को पतन की ओर अग्रसर कर देता है। चरित्र बल मनुष्य की सबसे बड़ी शक्ति है। चरित्र निर्माण की प्रक्रिया जन्म से लेकर मृत्यु तक चलती रहती है। चरित्र बल ही मानवीय गुणों की मर्यादा है यह स्वभाव और विचारों की दृढ़ता का सूचक है। आत्मशक्ति के विकास, सम्मान एवं वैभव का सोपान चरित्र बल है।
हमारे देश की स्वर्णिम संस्कृति में चरित्र का महत्व सर्वोपरि है। चरित्र रूपी बल के आगे विश्व की बड़ी बड़ी शक्तियों को भी नतमस्तक होना पड़ता है। स्वामी विवेकानंद जी का भी यही चिंतन था कि चरित्र बल ही कठिनाई रूपी पत्थर की दीवार में छेद कर सकता है।

स्वयं विवेकानंद जी ने इसी बल से शिकागो की यात्रा में आने वाली समस्त बाधाओं पर विजय प्राप्त करने संपूर्ण विश्व में भारतीय संस्कृति का उद्घोष किया। चरित्र बल मनुष्य को तेजस्वी बनाता है। चरित्र रूपी धन के समक्ष संसार की विभूतियां, सख, सविधाएं घुटने टेक देती हैं । इतिहास साक्षी है कि महाराणा प्रताप के चरित्र बल के आगे भामाशाह ने भी अपनी संपूर्ण संपत्ति न्यौछावर कर दी थी।

चरित्र बल से संफा मनुष्य समाज में साधारण लोगों के समक्ष प्रेरणा स्तंभ बनकर उभरता है। उसकी कार्यशैली से मुग्ध होकर लोग स्वयं ही उसके अनुगामी बन जाते हैं। सुभाष चंद्र बोस के इसी चरित्र बल से प्रभावित होकर असंख्य युवक-युवतियों ने अपना तन, मन, धन राष्ट्र हित में बलिदान कर दिया। श्रेष्ठ चरित्र संपन्न मनुष्य ही राष्ट्र को उन्नति एवं शांति के पथ की ओर ले जा सकते हैं।

भोग विषयों एवं तामसिक विचारधारा से ग्रस्त मनुष्य देश को पतन की ओर धकेल देता है। भौतिक सुविधा संपन्न होने पर भी यदि चरित्र बल नहीं है फिर तो पतन निश्चित ही है। हमारी आध्यात्मिकता का केंद्र बिंदु उत्तम चरित्र ही है। चरित्र एक ऐसी मशाल के समान है जिसका प्रकाश दिव्य और पावन होता है। चरित्र बल के प्रकाश से संपूर्ण राष्ट्र को प्रेरणा मिलती है।

प्राचीन काल से ही हमारा देश श्रेष्ठ चरित्र का उपासक रहा है। हमारे देश में हजारों महापुरुषों की ऐसी लंबी श्रृंखला है जिन्होंने अपने जीवन में चरित्र बल से विश्व का मार्गदर्शन किया। चरित्र की उपजाऊ भूमि पर ही चिंतन का बीजारोपण होता है। चरित्र बल मनुष्य में निर्भीकता पैदा करता है। हमारे नीतिकारों का भी कहना है कि निर्बल बलवान से डरता है, मुर्ख विद्वान से डरता है, निर्धन धनवान से डरता है परंतु चरित्र बल से संपन्न मनुष्य से ये तीनों डरते हैं। चरित्र बल ही सबसे बड़ा धन है। इसकी सावधानीपूर्वक रक्षा करनी चाहिए।

Sunday, December 29, 2019

Guru Gobind Singh Ji Essay in Hindi - श्री गुरु गोबिंद सिंह जी पर निबंध

Guru Gobind Singh Ji Essay in Hindi - श्री गुरु गोबिंद सिंह जी पर निबंध


श्री गुरु गोबिंद सिंह जी पर निबंध - Guru Gobind Singh Ji Essay in Hindi 

सिखों के 10 वें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाश संवत 1723 (दिसम्बर 1666 ई.) को श्री गुरु तेग बहादुर जी के घर माता गुजरी जी की कोख से पटना साहिब (बिहार) में हुआ। आप का बचपन का नाम गोबिंद राय था। धर्म प्रचार का दौरा समाप्त होने पर जब गुरु तेग बहादुर जी पंजाब आए तो आपने अपने परिवार को भी पटना से अपने पास आनंदपुर साहिब बुला लिया। यहां गोबिंद राय जी ने धार्मिक विद्या ग्रहण की तथा शस्त्रबाजी में भी निपुणता हासिल की।

Guru Gobind Singh Ji Essay in Hindi

कश्मीर के उस समय के गवर्नर इफ्तखार खान ने औरंगजेब के इशारे पर कश्मीर के ब्राह्मणों पर बहुत अत्याचार किए। हिन्दुओं को जबरदस्ती मुस्लिम धर्म ग्रहण करने के लिए विवश किया जा रहा था। जुल्मों से तंग आकर कश्मीरी ब्राह्मणों का एक दल मटन के निवासी पंडित कृपाराम दत्त की अध्यक्षता में गुरु तेग बहादुर जी की शरण में आनंदपुर साहिब में 25 मई 1675 ई. को आया तथा अपने धर्म की रक्षा के लिए पुकार की।

गोबिंद राय जी ने अपने पिता को हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए स्वयं दिल्ली की तरफ रवाना किया। गुरु तेग बहादुर जी गुरुगद्दी श्री गोबिंद राय जी को सौंप गए। एक वैशाख संवत 1756 (अप्रैल 1699 ई.) को गुरु जी ने खालसा पंथ की सृजना की तथा पांच प्यारे सजाए। इन पांच प्यारों का जन्म तलवार की धार पर हुआ। गुरु जी ने बाद में पांच प्यारों को गुरु के तुल्य सम्मान देते हुए उनसे खुद अमृत छका तथा आप ही गुरु व आप ही चेला का संकल्प दिया। आप जी का नाम गोबिंद राय से गुरु गोबिंद सिंह जी हो गया।

हालांकि गुरु जी को बहुत ज्यादा समय युद्धों में रहना पड़ा, इसके बावजूद आप जी ने बहुत बाणी की रचना की, जिनमें जाप साहिब, सवैये, बचित्तर नाटक, वार श्री भगौती जी की (चंडी दी वार), अकाल उसतति, जफरनामा के नाम वर्णनीय हैं। इसलिए आप जी को कलम तथा तलवार के धनी भी कहा जाता है।।

आनंदपुर साहिब तथा पाऊंटा साहिब में रहते हुए गरु जी ने पुरातन धार्मिक ग्रंथों का अनुवाद भी करवाया। आप जी की हजूरी में 52 कवि हमेशा रहा करते थे, जिन्होंने काफी साहित्य की रचना की।
मुगलों तथा 22 धार के राजाओं द्वारा अपने-अपने धार्मिक ग्रंथों की शपथ लेने पर 6 पौष संवत 1761 मुताबिक 20 दिसम्बर 1704 ई.(प्रिं. तेजा सिंह, डा. गंडा सिंह अनुसार 1705 ई.) को गुरु जी ने आनंदपुर साहिब  को छोड़ दिया। कुछ ही समय के पश्चात दुश्मन अपनी शपथों को भूल गया तथा गुरु जी पर हमला कर दिया।

सरसा नदी पर घोर युद्ध हुआ जिसमें गुरु जी का परिवार बिखर गया। गुरु जी को चमकौर साहिब में मुगलों से युद्ध लड़ना पड़ा, जिसमें आप जी के दो बडे साहिबजादे, तीन प्यारे तथा कई सिंह शहीद हो गए। आप जी के दो छोटे साहिबजादों को सरहिन्द के सूबेदार वजीर खान द्वारा दीवारों में चिनवा कर शहीद कर दिया गया। माता गजरी जी का देहांत भी सरहिन्द में ही हुआ।

चमकौर साहिब से आप जी पांचों प्यारों का हुक्म मानकर माछीवाड़े के जंगलों में जा पहुंचे, जहां आप जी ने पंजाबी में शब्द उचारा:
'मित्र प्यारे नूं हाल मुरीदां दा कहणा॥

तुधु बिनु रोगु रजाइयां दा ओढण नाग निवासां दे रहणा।।
सूल सुराही खंजर प्याला बिगु कमाइयां दा सहणा॥
यारड़े दा सानू सत्थर चंगा भट्ट खेड़ियां दा रहणा।।'

 इसके बाद आप जी को माछीवाड़ा के दो पठान भाइयों नबी खां, गनी खां ने उगा के पीर के रूप में आगे के लिए रवाना किया। जब आप खिदराने की ढाब (मुक्तसर साहिब) के निकट पहुंचे तो मुगल सेना ने दोबारा आप जी पर हमला कर दिया। यहां माई भागो व भाई महां सिंह जी के नेतृत्व में गुरु जी का किसी समय साथ छोड़ चुके सिंहों ने मुगलों से लड़ाई की। यहां भी जीत गरु जी की हई। गरु साहिब ने मुक्तसर की लड़ाई के बाद तलवंडी साबो (बठिंडा) में आकर कुछ समय तक आराम किया तथा यहां गुरु ग्रंथ साहिब जी की पवित्र बीड़ दोबारा लिखवाई, जिसमें गुरु तेग बहादुर जी की बानी भी शामिल की गई। इससे पहले गुरु जी ने औरंगजेब को जफरनामा भी लिखा, जिसका मतलब है 'विजय पत्र।

इतिहास बताता है कि औरंगजेब जफरनामे को पढ़कर इतना भयभीत हुआ कि उसके पाप उसको डराने लगे तथा अंत में उसकी मौत हो गई। बाद में आप दक्षिण की ओर चले गए तथा महाराष्ट्र के शहर नांदेड़ में रह रहे माधो दास बैरागी को अमृत छका कर बाबा बंदा सिंह बहादुर बनाया जिन्होंने सरहिन्द की ईंट से ईंट बजाते हुए गुरु साहिब जी के छोटे साहिबजादों की शहीदी का बदला लिया।

नांदेड में ही आप जी ने गुरुगद्दी श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी को दे दी तथा 7 अक्तूबर 1708 ई. को ज्योति जोत समा गए। गुरु जी की सारी लडाई मानवता की रक्षा के लिए थी।


Monday, December 2, 2019

10 Lines on Winter Season in Hindi

10 Lines on Winter Season in Hindi


सर्दी का मौसम बहुत अच्छा और खुशनुमा मौसम है, इस समय ठंडी हवा चलती है, सुबह-शाम नीले आसमान पर कोहरा छाया रहता है।
10 Lines on Winter Season in Hindi 


1 सर्दी का मौसम नवंबर माह में शुरू होकर फरवरी माह तक रहता है।
2 सर्दी के मौसम के दौरान दिन छोटे और रात्रि दिन से बड़ी हो जाती है ।
3 सर्दियों में धूप ज्यादा तेज़ नहीं होती इसका असर कम हो जाता है और हवाएं उत्तर दिशा से चलती हैं।
4 इन दिनों में सभी लोग गर्म वस्त्र के स्वेटर, कोट, कंबल,रजाई आदि पहनना आरंभ कर देते हैं।
5 सर्दियों में पाचन शक्ति काफी मजबूत हो जाती है, इसलिए सभी लोग अच्छा खाना खाकर स्वास्थ्य बना लेते हैं।
6 सर्दी के दिनों में ग्रामीण सुबह आग जलाकर ठंड से अपना बचाव करते हैं।
7 इन  दिनों दीपावली, लोहड़ी, क्रिसमस जैसेबड़े त्योहार  हैं, जिनका लोग खूब लुत्फ   उठाते  हैं।
(8) शरद ऋतु में फल और सब्जियों का उत्पादन अच्छी मात्रा में होता है।
9 दिसंबर और जनवरी के महीनों में ठंड कोहरा बहुत होता है जो कुछ नहीं दिखा।
(10) वर्तमान में स्कूल का समय सुबह 10:00 बजे  से शाम 4 बजे तक है। 



10 Lines on Winter Season in Hindi



Short essay on Winter Season in Hindi 


भूमिका -
1.    बारिश के मौसम के बाद नवंबर माह से शुरू होने वाले फरवरी माह में शरद ऋतु समाप्त हो जाती है। इस समय मौसम ठंडा और सुहावना हो जाता है।
2.    यह मौसम एक अनोखा स्वभाव है क्योंकि हमारे भारत देश में गर्मियों के स्थानों में ठंड का मौसम है जिसे सभी लोग पसंद करते  हैं।
सर्दियों का महत्व -
3.    सर्दी का मौसम शुरू होते ही किसान अपनी नई फसल बोने को तैयार हो जाते हैं। इस मौसम में सभी को अच्छा और पौष्टिक भोजन मिलता है।
4.    क्योंकि वर्तमान में गोभी, फूलगोभी, सेम, मटर आलू, मूली, गाजर और फल जैसी सभी तरह की सब्जियां  पूरी मात्रा में भरपूर मात्रा में उपलब्ध हैं।
5.    ठंड के मौसम के कारण सभी लोगों की स्वास्थ्य व्यवस्था अच्छी है और लोग दिन भर काम कर सकते हैं और रात भर होने के कारण अच्छी नींद ले सकते हैं।
6.    शरद ऋतु में भारत का सबसे बड़ा त्योहार दीपावली लोहड़ी, दशहरा, नवरात्र, गोवर्धन पूजा, भाई   दूज, छठ पूजा जैसे कई  त्योहारों के साथ मनाया जाता है। 
7.    इन त्योहारों की चकाचौंध और खुशियां लोगों के मन की हैं।
शीतकालीन दिनचर्या -
·      सर्दियों में सभी लोगों  के साथ-साथ अन्य प्राणियों की दिनचर्या भी बदल जाती है। वर्तमान में ठंड अधिक होने के कारण सभी  लोगस्वेटर, मफलर, कोट,दस्ताने आदि पहन   कर चलरहे हैं।  
·      खुशनुमा मौसम के कारण लोग आलस्य कम करते हैं। सुबह के समय  लोग  व्यायाम, व्यायाम आदि शुरू कर देते हैं। गांव के बुजुर्ग लोग और बच्चे अंगीठी और अलाव जलाकर जलते नजर आते हैं।
 वर्तमान में स्कूलों और कार्यालय का समय सुबह 10:00 बजे से शाम 4:00 बजे तक  बढ़ाया जाता है ।
·      ठंड अधिक होने के कारण लोग दोपहर में घरों से बाहर निकलना पसंद करते हैं, लोग घरों की छतों पर धूप में बैठकर ठंड से राहत मिलती है।
·      सर्दी के मौसम में दिन कम होते हैं, इसलिए शाम जल्दी हो जाती है और लोग भी जल्दी अपने घरों को लौट जाते हैं क्योंकि शाम को ठंड ज्यादा हो जाती है।
·      शाम के समय लोग रजाई में दुबकने लगते हैं और अपना पसंदीदा गर्म गर्म  भोजन खाते हैं और फिर मनोरंजन कार्यक्रम देखकर टेलीविजन पर सोते हैं
·      ठंडी हवाओं के कारण ठंडी हवाएं चलती हैं जिससे बुजुर्गों और बच्चों को ज्यादा देखभाल होती है। सर्दी के मौसम में किसान गर्मी और धूप को सहने के लिए नहीं होने के कारण ज्यादा काम भी कर पाता है।
निष्कर्ष -
8.    सर्दियों का मौसम हमारे भारत देश के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि ज्यादातर समय गर्मी होती है, इसलिए सर्दी के मौसम में लोग बहुत अच्छे होते हैं।
Few Lines on Winter Season in Hindi 
शीतकालीन समय अवधि -
·      सर्दी का मौसम नवंबर माह में शुरू होता है लेकिन दिसंबर और जनवरी माह में कड़ाके की ठंड पड़तीहै। हिंदू महीनों के अनुसार कार्तिक, अगहन, पॉश  और  माघ- चार महीने ठंडे होते हैं।  
·      सर्दियों के मौसम का प्राकृतिक दृश्य -
·      सर्दी का मौसम अन्य मौसमों की तुलना में बिल्कुल अलग होता है,  इस समय दिन का समय बहुत कम होता है और रात का समय बहुत बड़ा होता है।
·      शरद ऋतु में ओस सुबह होती है, जो थोड़ी दूरी पर भी दिखाई नहीं देती और मौसम इतना ठंडा होता है कि लोग रजाई से बाहर नहीं निकलना चाहते।
·      इस समय सभी पेड़ों का विकास रुक जाता है और उनकी पत्तियां धीरे-धीरे बिखरती जा रही हैं, कई पेड़ पौधों की पत्तियों से रंगे हुए हैं, जो सभी लोगों को मोहित कर ते हैं।
·      पहाड़ी इलाकों में बर्फबारी होती है, ऐसा लगता है कि पहाड़ों पर सफेद चादर लग गई है और जब सूरज की किरण बर्फ पर गिरती है तो खुले नीले आसमान के नीचे एक अलग ही चमक दिखाई देती है।
·      यह बहुत ही अद्भुत नजारा है जिसे देखने के लिए हजारों पर्यटक पहाड़ों पर घूमने आते हैं। जैसे-जैसे दिन ढलते ही ठंड बढ़ने लगती है।
·      उस समय खेतों में सरसों की फसल बोई जाती है और जब सरसों की फसल पर पीले फूल आते हैं तो नजारा किसी जन्नत से कम नहीं होता।
ठंड का मौसम और स्वास्थ्य -
·      ठंड के मौसम में सभी लोगों का स्वास्थ्य अच्छा रहता है क्योंकि इस समय पाचन शक्ति मजबूत हो जाती है और लोगों को भूख भी ज्यादा लगतीहै।
·      पाचन शक्ति मजबूत होने के कारण हम जो भी खाते हैं, वह हमारे शरीर को मजबूत और  मजबूतबनाताहै । ठंड के मौसम के कारण लोग लंबे समय तक व्यायाम करते हैं, जिससे उनकी तबीयत ठीक रहती है।
·      सर्दी के मौसम में हर तरह की ताजी सब्जियां और फल उपलब्ध होते हैं जो सेहत के अच्छे होते हैं। लेकिन ठंड के कारण बुजुर्ग ों और छोटे बच्चों को कड़ाके की ठंड के कारण परेशानी होती है, जिससे वे बीमार हो जाते हैं।
सर्दियों के मौसम की विशेषता -
·      सर्दी के मौसम में गर्मी से निजात मिलने के कारण लोग दिन भर घूमते रहते हैं इस वजह  से ज्यादातर लोग सर्दियों में घूमना पसंद करते हैं।
·      मौसम का मिजाज इतना ठंडा और सुहावना होता है कि लोग गर्म कपड़े पहनकर इसका लुत्फ उठाते हैं। सर्दियों में दिन छोटे होते हैं और रात बड़ी होती है, जिससे लोग पूरी तरह से सो जाते हैं।
·      ज्यादातर लोग इस समय गर्म चीजें खाना पसंद करते हैं, जैसे समोसे, कचौरी, पकोरा, तिल, गुड़ और ठंड में खाने से इन चीजों को कोई नुकसान नहीं होता।
·      इस समय एक  तरह के फूल पौधरोपण में जाते  हैं,  जो देखने में बेहद खूबसूरत लगते हैं। वर्तमान में गेहूं, मूंगफली,बाजरा आदि फसलें काफी अच्छी हैं। सर्दी के मौसम में दीपावली,   दशहरा, नवरात्रि, भाई  दूज, गोवर्धन, नववर्ष, मकर संक्रांति,  छठ पूजा आदि कई पर्व   मनाए जाते हैं, इन त्योहारों के कारण सर्दी के मौसम का आनंद और बढ़ जाता है।

विशेषण -
·      हमारे पर्यावरण के लिए सभी प्रकार के मौसम जरूरी हैं लेकिन ठंड का मौसम सब पसंद है और यह कुछ समय के लिए चला जाता है, इसलिए हर किसी को इसका आनंद मिलता है।
·      वाइटर सीजन में आसपास के  सीसिस  ठंडे और खुशनुमा होते हैं, जो सभी प्राणियों को पसंद आते हैं। स्वास्थ्य निर्माण के लिए यह मौसम काफी अच्छा है।
·      वर्तमान में कहीं बर्फ गिर रही है तो कहीं ठंडी हवा है और मैदानी इलाकों में पौधरोपण फूलों से लिया जाता है। खेतों में सरसों की फसल के पीले फूल ऐसे लहरा रहे हैं जैसे धरती ने पीली चादर ओढ़ ली हो।