Monday, April 29, 2019

5 Lines on Ostrich in Hindi

5 Lines on Ostrich in Hindi

5 Lines on Ostrich in Hindi

5 Sentences about Ostrich in Hindi - दुनिया के सबसे बड़े आकार और तेज रफ्तार से दौड़ने वाले पक्षी शुतुरमुर्ग के बारे में प्रचलित धारणा निराधार है कि शिकारी को सामने देखकर बेवकूफ शुतुरमुर्ग रेत में गर्दन छुपा लेता है बल्कि शुतुरमुर्ग तो एक समझदार पक्षी है यह मिथक शायद शुतुरमुर्ग के भारी-भरकम शरीर के कारण बना जिसका अर्थ है वह है कि शुतुरमुर्ग पक्षी जगत का इतना विशाल पक्षी है कि उसका छिपना असंभव है

5 Lines on Ostrich in Hindi for class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10th students

शुतुरमुर्ग की ऊंचाई 8 से 10 फीट तथा वजन डेढ़ सौ किलोग्राम तक होता है 

 यह पक्षी उड़ नहीं सकता लेकिन वह 50 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार से दौड़ जरूर सकता है वह एक्टिव पक्षी 10 घंटे लगाकर बिना थके चल सकता है।

संसार की सबसे बड़ी पक्षी शुतुरमुर्ग का अंडा भी सबसे बड़ा होता है डेढ़ से 2 किलोग्राम तक हो सकता है 

प्राणी शास्त्रीय और पक्षी विशेषज्ञों की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण अफ्रीका में शुतुरमुर्ग को भेड़ों के रेवाड़ा की निगरानी के लिए एक गडरिया की भांति प्रशिक्षित किया जाता है 

जब भेड़ें चरने जाती है तो शुतुरमुर्ग उन्हें कंट्रोल करने के लिए साथ चलते हैं घर वापसी तक का वह रेवड़ का पूरा ख्याल रखते हैं इस दरमियान कोई भेड़ अनुशासन भंग करती है तो वह उसे चोट मारकर उसका दंड भी तुरंत देते हैं। 

दिलचस्प बात यह भी है कि बहुधा एक नर शुतुरमुर्ग के साथ दो-तीन मादा शुतुरमुर्ग रहती है नर सुतुरमुर्ग मैदान में मिट्टी खोदकर खड्डा नुमा घोंसला बनाता है जिसमें मादा शुतुरमुर्ग अंडे देती है।

शुतुरमुर्ग की पीठ काली और हल्के ग्रे स्लेटी रंग की होती है 

वहीं गर्दन और पैरों का हल्का भूरा मिट्टी रेत के समान रंग होता है शुतुरमुर्ग जहां पहले यूरोप , एशिया अफ्रीका में पाया जाता था अब अफ्रीका में कालाहारी मरुस्थल तक ही सिमट कर रह गया है विभिन्न वनस्पतियों को खाने वाला यह सर्वाहारी पक्षी भोजन में कीड़े - मकोड़े , छिपकली , चिड़िया , चूहे आदि आवश्यकता अनुसार खा लेता है 

अपने भोजन को पचाने के लिए शुतुरमुर्ग अन्य पक्षियों की भांति कंकड़ भी नियमित रूप से निगल लेता है शुतुरमुर्ग की औसत आयु 30 से 40 साल तक होती है पिछले 12 सालों में इस पक्षी की संख्या में तेजी से गिरावट आई है जो पर्यावरण और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अच्छा संकेत नहीं है।

Sunday, April 28, 2019

Mahatma Gandhi Story in Hindi | महात्मा गांधी जी की कहानियां

Mahatma Gandhi Story in Hindi | महात्मा गांधी जी की कहानियां


महात्मा गांधी जी की कहानी - Mahatma Gandhi Story in Hindi
Mahatma Gandhi Story in Hindi
गांधी जी ने अपने जीवन में ऐसे अनेकों आदर्श प्रस्तुत किए हैं जिन्हें दुनिया के बड़े-बड़े नेताओं ने माना और अपनाया है जहां प्रस्तुत उनके जीवन से लिए गए कुछ ऐसी ही रोचक प्रसंग है :

बच्चों को गांधी जी से मिलना अच्छा लगता था एक दिन गांधी जी से मिलने एक बच्चा आया वह गांधीजी के पहनावे को देख कर बहुत आश्चर्यचकित हुआ उसे यह सोच कर आश्चर्य हुआ कितने महान व्यक्ति के पास पहनने के लिए एक शर्ट नहीं है बच्चा अपने आप को रोक नहीं पाया उसने गांधी जी से पूछा कि आप कुर्ता क्यों नहीं पहनते हैं ? गांधी जी ने बड़े ही प्यार से पूछा बेटे पैसे कहां है मैं बहुत गरीब हूं मेरे पास इतने पैसे नहीं है कि मैं कुर्ता खरीद सकूं उसने कहा कि मेरी मां बहुत अच्छा सिलाई करती है वह मेरे सारे कपड़े सिलती है मैं उनसे कहूंगा कि वह आपके लिए भी एक कुर्ता सिल दे बच्चे ने गांधी जी से पूछा कि आपको कितने कुर्ते चाहिए एक, दो या तीन ?

मैं अकेला नहीं हूं मेरे 40 करोड़ भाई बहन है जब तक उन सब के पास कपड़े नहीं होंगे तब तक मैं कैसे पहन सकता हूं क्या तुम्हारी मां उन 40 करोड़ के लिए शर्ट सिल सकती है यह सब सुनने के बाद में बच्चा सोच में डूब गया गांधी जी बिल्कुल सही थे 40 करोड़ भाई - बहन के पास जब तक कुर्ता नहीं होगा तब तक खुद कैसे पहन सकते थे पूरा देश उनके लिए परिवार ही था।

 महात्मा गांधी की कहानी 2 - Mahatma Gandhi Story in Hindi

जब नकल करने से पीछे हटे 

Mahatma Gandhi Story in Hindi


मोहन बचपन में बहुत ही शर्मीले थे जैसे ही छुट्टी की घंटी बजती थी वैसे ही वह अपनी किताबें समेट कर घर जाने के लिए तैयार हो जाते थे कुछ बच्चे बातें करने के लिए कुछ खेलने के लिए तो कुछ खाना खाने के लिए रुक जाते थे। लेकिन मोहन सीधे घर की तरफ चल पड़ते 1 दिन स्कूल इंस्पेक्टर मिस्टर गाइल्स उनके स्कूल में आए थे उन्होंने सभी छात्रों को पांच अंग्रेजी के शब्द बताएं और उसे लिखने के लिए कहा मोहन ने 4 शब्द तो एकदम सही लिखे लेकिन पांचवा शब्द उन्हें लिखना नहीं आ रहा था पांचवा शब्द kettle लिखने में परेशानी हो रही थी इस परेशानी को देखकर उनकी टीचर ने उन्हें इशारा किया कि वह अपने पड़ोसी सत्र की स्लेट से नकल कर ले मोहन ने उनके इशारे को अनदेखा कर दिया दूसरे बच्चे ने सभी शब्द सही सही लिखे मोहन ने सिर्फ 4 शब्द ही सही लिखे इंस्पेक्टर के जाने के बाद टीचर ने उन्हें खूब डांटा मैंने तुम्हें यह कहा था कि दूसरे छात्र से देख कर लिख ले पर तुमने ऐसा क्यों नहीं किया ? मोहन ने बड़े आराम से कहा क्या आप उसे खुद सही नहीं कर सकते थे सभी हंसने लगे जब मोहन घर वापस आए तो खुश नजर नहीं आ रहे थे उन्हें पता था कि उन्होंने जो भी किया वह सब सही ही था लेकिन उनके टीचर ने उन्हें नकल करने के लिए कहा इसी में वह दुखी थे।


गांधी जी की कहानी 3 - Gandhi Jayanti Story in Hindi

उनके मन का भूत भाग गया - कहानी

अंधेरी रात से मोहन को बहुत डर लगता था उसे लगता था कि अंधेरे में किसी कोने में भूत खड़ा है और वहां से उसे देख रहा है मोहन को एक कमरे से दूसरे कमरे में जाना था वह रूम से बाहर तो निकला लेकिन उसके पैर कांप रहे थे रंभा  मोहन कि वह बुजुर्ग नौकरानी दरवाजे के पास खड़ी थी उसने पूछा कि मोहन क्या हुआ बेटे तुम इतने डरे हुए क्यों हों मोहन ने कहा देखो कितना अंधेरा है मुझे भूत से डर लगता है रंभा ने बड़े प्यार से मोहन का सिर सहलाया और कहा किसी को देखा है कभी इस तरह से डरते हुए तुम मेरी बात सुनो राम के बारे में सोचो और कभी भी किसी भूत की हिम्मत नहीं होगी कि मैं तुम्हारे पास आए कोई भी तुम्हारे सर का एक भी बाल छू नहीं सकता है राम तुम्हारा अच्छा करेंगे रंभा के इस शब्द ने मोहन को शक्ति दी वह राम का नाम लेते लेते दूसरे कमरे तक बढ़े  उन्होंने कभी भी अकेला और डरा हुआ महसूस नहीं किया उनका मानना था कि जब तक राम उनके साथ रहेंगे तब तक वह हर खतरे से सुरक्षित रहेंगे इस विश्वास ने गांधी जी को पूरी जिंदगी साथ दिया और हर कदम पर निर्भरता से चलना सिखाया जहां तक कि जब वह इस दुनिया को छोड़ कर जा रहे थे तब भी उन्होंने हे राम कहकर दुनिया को अलविदा कहा।

 पिछले कुछ वर्षों में पूरी दुनिया में गांधी जी के विचारों को स्वीकार किया गया है आज के माहौल में जब धर्म जाति के नाम पर खून बहाया जा रहा है अपने स्वार्थों को पूरा करने के लिए हिंसा का सहारा लिया जा रहा है हमारी पूरी दुनिया पहले से ज्यादा खतरनाक हो गई है हमें ऐसे प्रकाश की जरूरत है जो हमें सही राह दिखाएं और हमें शांति एवं सौहार्द के पथ पर ले जाए इसलिए संयुक्त राष्ट्र संघ ने 2 अक्टूबर को अंतरराष्ट्रीय अहिंसा दिवस घोषित किया हाल ही में टाइम पत्रिका द्वारा कराए गए सर्वेक्षण में अंतरराष्ट्रीय प्रभावी हस्तियों की सूची में गांधी जी को पहला स्थान प्राप्त हुआ था विश्व के कई नेताओं ने न्याय पूर्ण अधिकारों को हासिल करने की अपनी लड़ाई गांधी जी की राह पर चलकर लड़ी दुनिया भर की नीतियों ने गांधी जी की शिक्षाओं उनकी सोच उनके संघर्ष के तरीके को सराहा इन में सबसे पहला नाम तो अमरीका के अफ्रीकी मूल के नागरिकों के नेता मार्टिन लूथर किंग जूनियर का आता है गांधीजी के रास्ते पर ही चलकर किंग ने  गने आक्षेतों को एक करने में सफलता हासिल की नेलसन मंडेला ने भी सत्याग्रह और अहिंसा का रास्ता चुना बिना किसी खून खराबे के बाद दक्षिण अफ्रीका को उसकी रंग भेदी अत्याचारी सरकार से मुक्ती दिलाई। जे तो सिर्फ दो उदाहरण है परंतु इसमें कोई संदेह नहीं है कि आज पूरी दुनिया गांधी जी के बारे में जानने के लिए ज्यादा उत्सुक है।
5 Lines on Dussehra in Hindi

5 Lines on Dussehra in Hindi

5 sentences about Dussehra in

5 Lines on Dussehra in Hindi

विजयादशमी या दशहरा प्रतिवर्ष आशिवन शुक्ल दशमी को मनाया जाता है यह पर्व वर्षा ऋतु की समाप्ति और शरद ऋतु के आगमन का सूचक है दशहरा क्षत्रियों   का सबसे बड़ा त्यौहार माना जाता है, क्योंकि इसी दिन वह अपने शस्त्रों का पूजन करते हैं ताकि हमेशा शत्रुओं पर विजय प्राप्त कर सकें।


5 Lines on Dussehra in Hindi for class 1,2,3,4,5,6,7,8,9,10th students 


  1. दशहरा दिवाली से 20 दिन पहले मनाया जाता है .
  2. इस दिन रावण का वध किया था श्री राम जी ने .
  3. इस दिन रावण का पुतला जलाया जाता है 
  4. दशहरा का अर्थ है दस सिरों वाला रावण 
  5. दशहरा के दिन राम लीला का आखरी दिन होता है 

Dussehra essay in Hindi 

अनेक स्थानों पर दशहरे के कुछ दिन पूर्व से रामलीला शुरू हो जाती है और दशहरे के दिन सूर्यास्त के समय बुराई के प्रतीक रावण कुंभकर्ण तथा मेघनाथ के पुतलों का दहन किया जाता है इस दिन श्री राम ने रावण को मारकर लंका विजय की थी इसीलिए इसे विजयदशमी कहा जाता है क्योंकि रावण के 10 सिर थे इसलिए यह दशहरा के नाम से भी प्रसिद्ध हुआ।

क्यों की जाती है शमी वृक्ष की पूजा :
आशिवन दसवीं को संध्या काल और रात्रि के बीच का समय विजय काल कहलाता है इसलिए बुराई के नाश के लिए इसी समय रावण दहन किया जाता है इस दिन लोग अपने घरों की सफाई कर के दरवाजों पर फूलों की बंदनवार सजाते हैं रावण दहन के लिए जाते समय स्त्रियां पुरुषों के माथे पर तिलक लगाती है देवताओं के पूजन के बाद सभी एक दूसरे को शमी की पत्तियां देकर गले मिलते हैं और आपसी प्रेम बढ़ाने एवं मंगल की कामना करते हैं।

इस दिन शमी वृक्ष का पूजन भी किया जाता है शमी वृक्ष के बारे में यह कहा जाता है कि दुर्योधन ने जब पांडवों को जुए में हराकर 12 वर्ष वनवास और 1 वर्ष अज्ञातवास की सजा सुनाई तब अज्ञातवास के समय अर्जुन ने अपना धनुष एक शमी वृक्ष पर ही छुपाया था और खुदा वृहन्नला (किन्नर) बनकर राजा विराट के यहां दास बन गया था अर्जुन ने शमी वृक्ष से धनुष उतार कर ही शत्रुओं पर विजय प्राप्त की थी इसलिए इस दिन शमी पूजन का विधान है।

कई जगह रावण दहन के बाद लोग एक दूसरे को शमी सोनपत्ति देकर गले मिलते हैं तथा एक दूसरे को बधाइयां देते हैं सोनपत्ति को देने के बारे में मान्यता है कि रावण वध के बाद लंका के नए राजा विभीषण ने वहां का सारा सोना लोगों में बांट दिया था।

कैसे हुई कुल्लू दशहरा मनाने की शुरुआत?
विश्वविख्यात कुल्लू दशहरा उत्सव की शुरुआत कैसे हुई इस विषय में एक रोचक किंबदंती प्रसिद्ध है कहा जाता है कि कुल्लू दशहरा का शुभारंभ 17 वीं शताब्दी में राजा जगत सिंह ने श्री रघुनाथ के इस घाटी में आगमन के उपलक्ष में किया था लोग मानते हैं कि राजा जगत सिंह जहां प्रजा प्रेमी और धर्मवीर था वही उसकी सबसे बड़ी कमजोरी थी के वह कान का कच्चा था और असंभव बात पर भी सहज ही विश्वास कर लेता था उसके दरबारी अपने शासकीय कमजोरी का लाभ उठाते और कुटिललता युक्त साजिश रच कर एक दूसरे को नीचा दिखाने की कोशिश करते।

इसी तरह एक दिन किसी दरबारी ने एक ब्राह्मण से बदला लेने के लिए उसके बारे में राजा को गलत सूचना दे दी कि अमुक गांव में दुर्गा दत्त नाम क ब्राह्मण के पास ढेरों सच्चे मोती है बिना जांच-पड़ताल किए राजा जगत सिंह ने अपने सैनिकों को उक्त ब्राह्मणों से सच्चे मोती लाने का आदेश दे दिया। राजा के आदेश अनुसार सैनिकों ने दुर्गादत्त के घर की तलाशी ली परंतु मोती नहीं मिले स्वाभिमानी दुर्गा ईश्वर अपमानजनक व्यवहार को नहीं सह सका और सैनिकों के चले जाने के बाद खुद को सपरिवार झोपड़े में बंद करके आग लगा ली देखते ही देखते एक निर्दोष परिवार आग में जलकर राख हो गया।

जनश्रुति के अनुसार इस घटना के बाद जब भी राजा जगत सिंह भोजन करने बैठता उन्हें अपनी थाली में कीड़े रेंगते नजर आते राजा इस घटना से घबरा गए उन्होंने राजगुरु कृष्ण दास की शरण ली गुरु कृष्ण दास ने राजा को उसकी भूल का एहसास कराया और कहा कि अब तभी इस पाप से मुक्ति मिल सकती है जब अयोध्या से श्री रघुनाथ जी की मूर्ति जहां लाकर प्रतिष्ठा की जाए राजा ने ऐसा ही किया इस अवसर पर श्री रघुनाथ जी के स्वागत के लिए कुल्लू घाटी के सभी देवता नगर में पधारे। कुल्लू के ढालपुर मैदान में सभी देवताओं की एक साथ उपस्थिति एक उत्सव में बदल गई और यह उत्सव बाद में कुल्लू दशहरा के आयोजन के रूप में परिवर्तित हो गया।

मैसूर व बस्तर का भव्य दशहरा वैसे तो दशहरा पूरे भारत का त्यौहार है लेकिन प्रथम स्थान पर मैसूर का दशहरा इतिहास बताता है कि मैसूर के भव्य दशहरे का प्रारंभ विजय नगर साम्राज्य से हुआ विजय नगर के शक्तिशाली शासक अपने अधीनस्थ को दशहरे के दिन पूरे दल - बल के साथ उपस्थित होने का आदेश देते थे और तीन चार महीने की यात्रा के बाद दूरदराज के क्षेत्रों के सभी राजा अपने साथ लगभग हजार हाथियों को संवारकर उन पर सोने का सौदा लगाकर पहुंचे थे और तब इस शानदार दल बल के साथ मां चामुंडेश्वरी की पूजा की जाती थी तथा जुलूस निकाला जाता था मैसूर में वर्तमान भव्य दशहरे की शुरुआत 1969 में वडियारों ने की थी। इस समय से दशहरा राजाओं का त्योहार ना होकर जन-जन का त्यौहार बन गया फिलहाल हजारों हाथियों को सजा कर उन पर सोने का हौदा सजाने के बजाय सबसे आगे वाले हाथी पर सोने का हौदा का होदा सजाया जाता है जिसका भजन 750 किलोग्राम है इस पर ही देवी चामुंडेश्वरी की सवारी निकाली जाती है।

दशहरे के संदर्भ में दूसरा प्रसिद्ध स्थान है बस्तर कहा जाता है कि पुरुषोत्तम देव महाराज ने जगन्नाथपुरी जाकर भगवान की सेवा की और श्रद्धा अनुसार रतन चढ़ाई वहीं से वे रथ पति की उपाधि लेकर लौटे तभी से दशहरा मनाने की शुरुआत हुई। बस्तर में दशहरे की तैयारी श्रावण अगस्त से ही शुरू हो जाती है जहां दशहरे के लिए खास तौर पर लकड़ी का एक विशाल रथ बनाया जाता है इस रथ पर दंतेश्वरी का छत्र लेकर पुजारी बैठता है जहां बस्तर के निवासी और राजाओं के वंशज देवी की डोली का स्वागत करते हैं इस अवसर पर महार जाति की कुंवारी कन्या को कांटों की सेज पर बैठाने का रिवाज है। ऐसा माना जाता है कि काघन देवी इस कन्या पर सवार होकर दशहरा मनाने की अनुमति देती है इसीलिए इसे कालीन गादी कहते हैं आशिवन शुल्क त्रयोदशी को माता की विदाई होती है।
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